अमृतकाल तक वंचितों की दिशा और दशा! -प्रसिद्ध यादव।

 



बाबा साहेब का मूलमंत्र था - शिक्षित बनो! संगठित हो ! संघर्ष करो! शिक्षा के प्रति जागरूकता आई है। लोग शिक्षित होकर अच्छे अच्छे पदों पर जा रहे हैं। वंचित संगठित भी हो रहे हैं।नतीजा  कई राज्यों में शासन भी चला रहे हैं और तो और अनुसूचित जनजाति की महिला महामहिम राष्ट्रपति पद पर विराजमान हैं। इससे पूर्व भी इस पद पर अनुसूचित जाति के पद पर विराजमान थे। संघर्ष लोग दिनरात कर रहे हैं। समग्रता में देखें तो आज भी वंचितों की यथास्थिति बनी हुई है और इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेवार व्यवस्था और इनके राजनेता हैं। अमृतकाल में एक लकीर खींचकर एक तरफ कॉम्फोर्टबल जोन और दूसरी तरफ अभावग्रस्त जीने वाले को रख दें तो मालूम हो जाएगा कि आज भी किसके हिस्से में क्या है?न्यायपालिका, वीसी,प्रोफेसर ,कल कारखाने का स्वामित्व , कॉरपोरेट घरानों, उद्योग, फ़िल्म,ट्रांसपोर्ट, बड़े टेंडर, मॉल,बड़े बड़े व्यवसाय, जमीन,फार्महाउस ,महंगी गाड़ियां, बड़े बड़े अस्पताल, स्कूल प्रबंधक,निदेशक, निजी बैंक ,दवा कम्पनियां, प्रेस मीडिया किताब ,निजी इंजीनियरिंग, मेडिकल, मैनेजमेंट कॉलेज ,पोर्ट,एयरपोर्ट, हवाई जहाज ,मंत्री,विधायक आदि देश के  5 फीसदी के हाथों में है और ये सभी कॉम्फोर्टबल जोन में है।इनके सात पीढ़ियों तक आदमी खत्म हो जाएंगे लेकिन धन  खत्म नहीं होगा।
दूसरी तरफ कुपोषित बच्चों, अनपढ़,पलायन करने वाले, बिना सर पर छत,शौचालय, गंदे पानी कम आये वाले ,दैनिक मजदूरी करने वाले, रिक्शा,ठेला चलाने वाले, बोझ ढोने वाले, गटर साफ करने वाले, मलिन बस्तियों में रहने वाले , 85 फीसदी वंचित समाज है।वंचित समाज के जो लोग कॉम्फोर्टबल जोन में चले गए वे भी वंचितों पर ध्यान नहीं दिया। संघर्ष सभी मिलकर करते हैं लेकिन फल प्राप्त किसी किसी को होता है।
झारखंड के चतरा जिले में एक बच्चे को जन्म के तुरंत बाद उसकी मां ने कथित तौर पर उसे बेच दिया.  नवजात की मां आशा देवी समेत 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया । आखिर ऐसी घटनाएं क्यों हो रही है। दुनिया में जितनी तरह की परेशानियां है वे सभी वंचितों के हिस्से में है।
देश में सालाना करीब 14 लाख बच्चों की मौत हो रही है जिसमें से सात लाख से ज्यादा मौतें कुपोषण से हो रही हैं। इसमें उत्तर प्रदेश, बिहार ,महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान की स्थिति ज्यादा गंभीर है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने बुधवार को कुपोषण को लेकर राज्यों के हालात पर किए अध्ययन की रिपोर्ट जारी की। भारत में 6-13 वर्ष आयु वर्ग के लगभग 60 लाख बच्‍चे स्‍कूल नहीं जाते और इनमें से अधिकांश अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और धार्मिक अल्‍पसंख्‍यक समूहों के वंचित समुदायों से हैं। लगभग 36 प्रतिशत लड़कियां और लड़के प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण होने से पहले ही स्‍कूल छोड़ देते हैं।Unemployment rate in India December 2022: दिसंबर में शहरी बेरोजगारी दर 10 प्रतिशत थी. वहीं ग्रामीण बेरोजगारी दर 7.5 प्रतिशत थी. नवंबर में बेरोजगारी की दर आठ प्रतिशत थी. Unemployment rate in India December 2022: देश में बेरोजगारी की दर दिसंबर, 2022 में बढ़कर 8.3 प्रतिशत के उच्चस्तर पर पहुंच गई है.2 जन॰ 2023 तक।
देश की जेलों में बंद कुल कैदियों में से करीब 66 फीसदी लोग अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति ,अल्पसंख्यक और अन्य पिछड़े वर्ग यानी ओबीसी के हैं. यह जानकारी राज्यसभा में गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने एक सवाल के लिखित जवाब में दी थी । आजादी के बाद से ही निर्धनता उन्मूलन के अनेक नीति लागू किया गया, लेकिन गरीबी अंगद की तरह पाँव जमाये हुए हैं।
अब सवाल है कि आजादी के 75 साल बाद भी वंचितों के दिशा दशा क्यों नहीं बदला?इसके लिए कौन जिम्मेवार है? आर्थिक आजादी के बिना आजादी अपूर्ण है और देश में इस आजादी के लिए आंदोलन की जरूरत है।

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