बाबाओं की अंधी दौड़ ! चमत्कार की होड़ !- प्रसिद्ध यादव।

  


अभी बाबाओं के  प्रकटीकरण का दौड़ चल रहा है।ये लोग यही चाहते थे कि ऐसा राज आये की भोले भाले लोगों के आंखों में धूल झोंककर चमत्कार के नाम पर अपना चमत्कार करते रहे।मीडिया खूब तरजीह दे रही है ऐसे बाबाओं के।मैं ऐसे के नाम लेना भी पाप समझता हूं। बुद्धिजीवी, ज्ञानी कहने वाले इनके पैरों में सर पटकेंगे । चमत्कार देखेंगे। 2024 तक नित्य नए बाबाओं के ज्यादा अवतार होंगे।जानते हैं क्यों ? आपके अंदर जो बेरोजगारी, महंगाई, भुखमरी, निजीकरण के खिलाफ गुस्सा है वो इन बाबाओं के महिमा मंडित में फीकी पड़ जाए और आप धर्म के खतरे वाली स्क्रिप्टेट पाठ पढ़ लें। किसकी प्रवचन सुनने की इच्छा करती है जो आदमी को जानवरों से नीच समझा, कैसा धर्म, जहां छाया पड़ने पर दोष लग जाता है।ऐसे प्रवचन सुनकर कोई डॉ, इंजीनियर, कलेक्टर, जज वैज्ञानिक बना है क्या ?फिर इसके लिए इतनी तामझाम क्यों? प्रवचन सुनना है,संगति करना है तो उसकी करो जो शिक्षा देकर जीवन में बदलाव कर दे।उस किताबों को पढ़ें जो तेरे अधिकार,न्याय की बात करे ,तुम्हे आर्थिक आजादी दिलाने की बात करे,सर उठाकर स्वाभिमान के साथ जीना सिखाये,जो आत्मबल दे ,शोषण,दमन से मुक्ति दे ,जीवन में नया सवेरा दे । ढोंग,पाखंड,अंधविश्वास के बाजार में जाकर एक भीड़ की हिस्सा न बनें । याद रखें!अगर आपके अंदर शिक्षा की ज्योति जल गई तो फिर आपके सामने कोई चमत्कारी बाबा,ओझा,बोझा नहीं है।

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