"मेरी मौत ग़रीबों के हित में है.''!- महात्मा फुले ।
सच बोलना हमेशा से जोखिम भरा रहा है और यह जोखिम सब नहीं उठा सकते हैं। गर्व होना चाहिए जिनके पुरखें इतने साहसी थे और मनुवादियों के डटकर मुकाबला किया आज कुछ लोग इनके चमचई कैसे करने लगे ? जिन्हें आप जाति वर्ग के नाम पर नेता,एमपी एमएलए समझ रहे हैं वे कुल्हाड़ी में लगे लकड़ी के बेंत लगकर आपको काट रहे हैं। आज उन्हीं पुरखों के बदौलत नेता बने हुए हैं लेकिन आने वाले पीढ़ियों को मुंह दिखाने के लायक नहीं बचेंगे ,जब वे पूछेंगे की स्कूल,रेल,सेल,भेल सब निजीकरण कैसे हो गया?नॉकरियाँ कैसे खत्म हो गई? संविधान कैसे कुचला गया,धार्मिक उन्माद क्यों बढ़ा? अंधविश्वास, ढोंग,पाखंड को बढ़ावा क्यों हुआ ?उस वक्त निरुत्तर हो जायेगा।आज बाबा साहेब अंबेडकर, ज्योति बा फुले को नायक मानने की सब नॉटंकि कर रहे हैं, मूर्तियां बना रहे हैं केवल वोट के लिए।ये किनके दिलों में बसे हैं वो दुनिया जानती है। पुरुखों ने कहा था कि आने वाले समय चमचा युग आयेगा।चारो तरफ चमचई होगा।जिसके जेब में अधिक पैसे होगा वही पद धारक होगा। फुले अपना जीवन महिलाओं, वंचितों और शोषित किसानों के उत्थान के लिए समर्पित किया था. इस काम के चलते उन्हें और उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा. रूढ़िवादी समाज उन पर ताने मारता था और गाली गलौज भी किया करता था.
कुछ लोगों ने उन पर गोबर भी फेंका लेकिन फुले दंपति ने अपना काम नहीं छोड़ा. इन विरोधों का कोई असर न होते देख कुछ लोगों ने फुले को मारने के लिए दो हत्यारों को भेजा.
फुले दंपति दिन का काम पूरा करने के बाद आधी रात को आराम कर रहे थे. अचानक नींद टूटने पर मंद रोशनी में दो लोगों की छाया दिखी. ज्योतिबा फुले ने ज़ोर से पूछा कि तुम लोग कौन हो?
एक हत्यारे ने कहा, 'हम तुम्हें ख़त्म करने आए हैं', जबकि दूसरा हत्यारा चिल्लाया, 'हमें तुम्हें यमलोक भेजने के लिए भेजा गया है.'
यह सुनकर महात्मा फुले ने उनसे पूछा, "मैंने तुम्हारा क्या नुकसान किया है कि तुम मुझे मार रहे हो?" उन दोनों ने उत्तर दिया, "तुमने हमारा कोई नुकसान नहीं किया है लेकिन हमें तुम्हें मारने को भेजा गया है."
महात्मा फुले ने उनसे कहा, मुझे मारने से क्या फ़ायदा होगा? "अगर हम तुम्हें मार देंगे, तो हमें एक-एक हज़ार रुपये मिलेंगे," उन्होंने कहा.
यह सुनकर महात्मा फुले ने कहा, "अरे वाह! मेरी मृत्यु से आपको लाभ होने वाला है, इसलिए मेरा सिर काट लो. यह मेरा सौभाग्य है कि जिन ग़रीब लोगों की मैं सेवा कर खुद को भाग्यशाली और धन्य मानता था, वे मेरे गले में चाकू चलाएं. चलो. मेरी जान सिर्फ़ दलितों के लिए है. और मेरी मौत ग़रीबों के हित में है.'' हमें ऐसे महापुरुषों पर गर्व है।
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