संविधान के अनुच्छेद 51 ए को जानें !- प्रसिद्ध यादव।
पिछले सात दशकों में भारत ने आणविक जीव विज्ञान, कृषि/फार्मास्यूटिकल विज्ञान और ठोस-अवस्था रसायन विज्ञान जैसे अनुसंधान क्षेत्रों में महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रगति की है।
भारत ने अंतरिक्ष, परमाणु विज्ञान और सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी सराहनीय छलांग लगाई है।
संसद ने 42 वें संशोधन के माध्यम से संविधान के अनुच्छेद 51 ए में एक कर्तव्य को शामिल करके वैज्ञानिक दृष्टिकोण का प्रचार करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया, जो प्रत्येक नागरिक के कर्तव्य के रूप में वैज्ञानिक दृष्टिकोण में विकास करने को कहता है।
लेकिन भारत न केवल जनता के बीच, बल्कि स्वयं वैज्ञानिकों के बीच भी वैज्ञानिक साक्षरता का प्रचार करने में विफल रहा है और इस प्रकार वैज्ञानिक प्रवृत्ति केवल एक उच्च आदर्श बनकर रह गई है और समाज में नहीं फैल पाई है।
साथ ही ऐसा लगता है कि भारत अपने इच्छित मार्ग से भटक गया है और 1960 के दशक की शुरुआत में आधुनिक विज्ञान की मजबूत नींव रखने के बावजूद संवैधानिक मूल्यों की कीमत पर प्रतिगामी धर्म आधारित राजनीति का मार्ग प्रशस्त किया है।
वैज्ञानिक सोच -
दैनिक जीवन में तार्किक सोच, तर्क, खुले दिमाग और विश्लेषणात्मक आचरण।
किसी भी हठधर्मिता, अंधविश्वास या प्रकट झूठ में विश्वास की कमी।
पूर्वकल्पित धारणाओं के बिना नए तथ्यों और सबूतों के साथ मिलने की इच्छा।
रूढ़ियों को तोड़ना और यह स्वीकार करने के लिए खुला होना कि किसी के अपने अनुभवों और विश्वासों को निरंतर पुन: अंशांकन की आवश्यकता होती है।
आज धर्म के नाम पर अंधविश्वास, ढोंग रचने की खुली छूट दी गई है।बाबाओं को मंत्री ,सांसद आरती उतार रहे हैं, उनके ड्राइवर बने हुए हैं।बाबा ताली बजाकर पर्ची निकाल रहा है और खुद को बुद्धिजीवी कहने वाला ताली पर नाच कर पागल बना हुआ है। खुलेआम मंच से बाबा हिन्दू राष्ट्र बनाने की घोषणा करता है और कोई उसपर गैर संवैधानिक बात कहने के लिए संज्ञान नही लेता है।कोई लोकहित याचिका दायर नहीं होता है।मीडिया उछल उछल कर उसे कवरेज किया,लेकिन किसी मीडिया ने उसे गैर संवैधानिक बात कहने के लिए सवाल नहीं किया । भला हो उस वंचित समाज को जो पास में रहकर भी ऐसे ढोंगियों की झांकी मारने नहीं गए।कहीं न कहीं अम्बेडकर के विचारों का प्रचार प्रसार बढ़ रहा है और लोग काल्पनिक किताबों को छोड़ संविधान को पढ़ रहे हैं और आस्था रख रहे हैं।इसका दूरगामी परिणाम बहुत अच्छा होगा।ताली थाली पीटने वाले कहाँ रहेंगे वे ही जानें।
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