जीवट बाबा , पुजारिन व मधुमक्खी !

  

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महम्मदपुर ब्रह्मबाबा के बट पूजा की घटना अफसोसजनक व चिंतनीय है।जो घटना होना था वो हो गया, उस पर ज्यादा कुछ लिखने की जरूरत नहीं है लेकिन घटना के बाद भी पंडित जी के, पुजारिन की और मधुमक्खी की जीवटता गज़ब की थी।तीनों अपने अपने काम में अरे हुए थे।अब किसकी जीत हुई और किसकी हार ये अपनी अपनी नजरिया है। मधुमक्खी के आतंक से भी पंडित जी नही डरे और ना ही पति की लंबी उम्र की कामना करने वाली महिलाएं। इस जंग में पंडित जी और सुहागिनों की जीत हुई। सनातन धर्म की जय !पंडित जी महाराज की जय !

घायल पंडित जी पानी से खूब नहाए और पूर्ण सेफ गार्ड के साथ पूजा स्थल पर गये, पोथी पथरा, झोला झकर जमा किये और पुनः कथा शुरू हुआ।इस बार मधुमक्खी रानी साइलेंट मोड में थी और लक्ष्मी चहक रही थी, नई सुहागिनों की आगमन शुरू हो गई।इस बार पूर्ण रूप से एहतियात बरती गई थी, बिना होम के काम चल रहा था।कुछ समय में ही भीड़ इकठ्ठे हो गई।अनेक महिलाएं पूर्व की घटनाओं से अनभिज्ञ थी, वो बाद में आई थी।नई महिलाएं पंडित जी के कानून को तोड़ दी और दूसरी तरफ होम शुरू कर दी।इस बीच पहले से आई महिलाएं मना कर रही थीं लेकिन वो सुन नही रही थी।कुछ महिलाएं गुस्से में रसिक शब्दों के प्रयोग भी की लेकिन होनी को कौन टाला है? मधुमक्खी रानी साइलेंट मोड से,वाइब्रेट मोड में और इसके बाद रण चंडी बन गई।इस बार जो हुआ वो भयावह स्थिति थी। कई महिलाएं, बच्चे खगौल डॉक्टर के पास गए,दवा इंजेक्शन और पानी चढ़ाने की नोबत आ गई।पूरा अफरा तफरी का माहौल बन गया था। पंडित जी  अपना काम बनाकर अदृश्य हो गए ।लालच में कितने लोग घायल हो गए लेकिन पंडित जी अपना काम नही छोड़े ।ऐसी भक्ति,पूजा को आप किस नजरिया से देखते हैं यह आप पर छोड़ दिया है।मेरा मत न जानें तो ठीक रहेगा। तकलीफ़ होती है ऐसी भक्तिभाव देखकर ।आप भला तो जग भला।

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