फुलवारी के पूर्व सीओ पर आरोप गठित। -प्रसिद्ध यादव।

   


वर्तमान भी  इसी राह पर। दलाल जनप्रतिनिधियों को चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए।

नीतीश राज में बीयूरोक्रेसी का मन इतना बढ़ गया है कि उसे  रिश्वत मांगने में थोड़ी भी शर्म नहीं आती है, निर्लज्जता की पराकाष्ठा है। पहले अधिकारी हम समाजसेवी के चेहरे देख लेता था तो अफसर कांपने लगता था।आज छूटा भैंसा बनकर जनता को रौंद रहा है।

फुलवारी के पूर्व इतना भ्रष्ट था कि न वो कानून से डरता था न किसी प्रभावशाली व्यक्ति से। वो डरता था तो सिर्फ लात जूता से। मेरे एक दो मामलों में ऐसा बखेड़ा खड़ा कर दिया कि उसे मुझे चैंबर में ही बेइज्जत करना पड़ा। मेरे एक प्लाट के दो बराबर-  बराबर स्वामी हैं , उसमें तीसरा का नाम से मोटेशन कर दिया और रकवा तिगुना कर दिया। किस आधार पर क्या डोकेमेंट्स है?ये कोई बताने वाला कोई नहीं है और झंझट लगा दिया है।इसकी शिकायत ऊपर किया कर्मचारी के पास आवेदन आया लेकिन सम्बंधित व्यक्ति को अभी नोटिस करने का शुभ महूर्त अंचल को नही हुआ है। एक मामले में और नोटिस करवाया,लेकिन अंचल सो गया। कोई कुछ बताने वाले नही है।वैसे भ्रष्ट को मैं कुर्सी पर से उठा दिया था, तब एक मामला को  खत्म किया अभी दो मामले लटका हुआ है।वर्तमान सीओ भी इसी तरह है और यह भी भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है। संयोग से मुलाकात नही हो रहा है, जबतक इनलोगों को जनता का भय नहीं व्याप्त होगा,ये सुधरने वाले नहीं है। इस सीओ से काम करवाना है तो प्रखंड के जनप्रतिनिधियों को पकड़िए डील कीजिए तब काम होगा या फिर सीओ के ड्राइवर से बात कीजिए काम हो जाएगा। अब ऐसे भ्रष्ट लोगों को तत्काल सुधारने का उपाय पिटाई है और लांग टर्म में शिकायत है। एक साथ दोनों काम होना चाहिए। प्रखंड के अधिकांश जनप्रतिनिधि सीओ और थाना के दलाली कर रहा है।ऐसे लोगों को चुल्लू भर पानी में  डूब मर जाना चाहिए । दलाल कहता है कि  ऊपर तक देना पड़ता है जैसे बाप के कमाया हुआ पैसा है।अंचल कार्यालय में दाखिल खारिज के 4920 मामले प्रक्रियाधीन थे. जिसमें 52 आवेदन 75 दिनों से अधिक समय से लंबित हैं .उनमें से 35 आवेदन को ट्रैकलेस बताया गया. पटना डीएम ने इन तमाम आरोपों में निलंबन की अनुशंसा राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग से की थी. इसके बाद सरकार ने उन्हें निलंबित कर दिया है.

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