भाग्य भरोसे किसान ! -प्रसिद्ध यादव।
भारत में अजीब विडम्बना है की हम हर क्षेत्र में विकास कर रहे है कृषि उत्पादकता बढ़ी है लेकिन किसान भूखे मरने को बेवस है। हर 41 मिनट पर एक किसान आत्महत्या करता है फिर भी कृषि प्रधान देश कहलाता है ।कहने को तो ये अन्नदत्ता है ।इनकी औसत आय मासिक 2115 रुपये है।1 एकड़ खेती करने की लागत 4400 रुपए होते है।देश में अब 11 करोड़ 89 लाख किसान औसतन 5 एकड़ खेत में खेती करते है।फसल अच्छी हुई तब 10500 कमाई होती है।122 लाख हेक्टेयर में ही जमीन में खेती होती है।52% किसान मानसून पर निर्भर होते है।दुनिया में सबसे बड़ा ट्रेक्टर का मार्केट भारत है।अब 55%लोग खेती करते है।खेती घाटे का सौदा होने के कारण लोग इससे पलायन कर शहरों में दिहाड़ी करना पसंद कर रहे है। केंद्र सरकार ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की बात कही थी लेकिन ये भी ढाक के तीन पात साबित हुआ।1960 से हरित क्रांति आने पर कृषि उत्पादकता बढ़ी है लेकिन फसलों की कीमत में वृद्धि अब तक मात्र 19% हुई है। नॉकरी व् अन्य क्षेत्र में वेतन वृद्धि 150% से अधिक हुई है।इसके अलावे 196 तरह के भत्ते भी मिलते है।किसान 2115 रुपये महीना में कैसे गुजरा करेगा।ये तो किसनो को जिन्दा मरनेवाला देश है। आर्थिक राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 2021 में कुल 12,055 कारोबारियों ने किसी ना किसी कारण से कर दुनिया से विदा ले ली. यह आंकड़ा साल 2020 में 11,716 कारोबारियों था. 2020 कुल आत्महत्या से होने वाली मौतों के डाटा को देखें तो इसमें 7.2 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. उद्यमियों पर किए गए एक सर्वे के आंकड़ों को भी इस रिपोर्ट में शमिल किया गया है.
एनसीआरबी के मुताबिक, कॉरपोरेट सेक्टर में होने वाली मौतों की संख्या किसानों की तुलना कहीं ज्यादा थी. साल 2021 में देश में कुल 10,881 किसानों की आत्महत्या से मौत होने की सूचना दी गई. विश्लेषण में जो बड़ी बात समाने आई, उसके मुताबिक साल 2018 के आंकड़ों की तुलना में साल 2021 में स्वरोजगार करने वाले उद्यमियों की आत्महत्या के मामलों में 54 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है.
किसानों की कर्ज माफ़ी के साथ इनके फसलों की कीमत में तिगुनी वृद्धि होनी चाहिए।आज पार्क,म्यूजियम,स्टेडियम,मूर्ति बनाने के लिए सरकार के पास खजाना है,लेकिन गोदाम बनाने के लिए पैसे नहीं है।सरकार किसानों की समस्या गम्भीरता से ले।
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