भाजपा को शिकस्त देना इतना आसान नहीं होगा।- प्रसिद्ध यादव।
भाजपा 2024 के चुनाव के जीतने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है। इसकी नजर विशेष रूप से अनुसूचित जाति -जनजाति के मतदाताओं पर है। अनुसूचित जनजाति के वोटर को लुभाने के लिए राष्ट्रपति पद ही काफी है, बाकी अनुसूचित जाति के अधिकांश राजनीति दल भाजपा खेमे में है।बिहार में मांझी महागठबंधन में थे, वे भी इसके हिस्सा बन गए हैं। लोजपा, बसपा आदि दल पहले से ही साथ है। बाकी कसर ओबैसी पूरा कर देते हैं। ओबैसी की पार्टी को महागठबंधन भाजपा की बी टीम मानती है। इसके लिए पार्टी घर-घर जोड़ो चुनावी अभियान शुरू करने जा रही है. इस अभियान के तहत बीजेपी दलितों और अनसूचित जातियों पर फोकस करेगी.
देश में 17 प्रतिशत वोटर इस आबादी से आते हैं और पार्टी इस पर नजर बनाए हुए है. पार्टी 14 अप्रैल से 5 मई तक देश में इस अभियान को चलाएगी जिसके तहत बीजेपी नेता दलितों की बस्तियों में प्रवास करेंगे. दरअसल, 14 अप्रैल को आंबेडकर जयंती है और 5 मई को बुद्ध जयंती है. इसे अपना हथियार बनाई है। देश में लोकसभा की 131 सीटें रिजर्व हैं. जिसमें 84 अनसूचित जाति और 47 अनसूचित जनजाति के लिए हैं. एक समय में इन दलित बहुल वाली सभी सीटों पर कभी कांग्रेस तो कभी बहुजन समाज पार्टी या फिर कभी अन्य पार्टियों का कब्जा हुआ करता था लेकिन 2019 में 2014 के रिकॉर्ड को तोड़ते हुए बीजेपी ने 77 रिजर्व सीटों पर कब्जा कर लिया. वो भी तब जब विपक्षियों ने बीजेपी को दलित विरोधी पार्टी का आरोप लगाया.
सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसायटी यानि सीएसडीएस के मुताबिक, साल 2014 में कांग्रेस को 18.5 प्रतिशत वोट से संतोष करना पड़ा था. वहीं, अपने आप को दलितों की सबसे बड़ी पार्टी बताने वाली बहुजन समाज पार्टी को 13.9 प्रतिशत मिला था. वहीं, बीजेपी को कुल वोट का करीब 24 प्रतिशत वोट मिला था.वहीं, अगर सीएसडीएस लोकनीति के सर्वे की बात करें तो नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बैकवर्ड कास्ट के वोटिंग पर्सेंटेज में बीजेपी को फायदा हुआ है. जो 24 प्रतिशत से 42 प्रतिशत तक पहुंचा है. इसके अलावा, 2014 से 2019 के बीच दलित वोट 24 प्रतिशत से 34 प्रतिशत तक बीजेपी को मिला है.भाजपा पर आरएसएस, मनुवादी का आरोप एक राजनीति आरोप बनकर रह गया है।महागठबंधन के नेताओं में इतनी महत्वाकांक्षा है कि अंत समय तक एकजुट रहना संदेहास्पद लगता है। ऐसे में भाजपा को शिकस्त देना इतना आसान नहीं होगा।
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