हरी झंडी दिखाने से फुर्सत मिले तो मणिपुर पर भी मुंह खोलें पीएम ! -प्रसिद्ध यादव।

    


  रेल डिरेल तो हो ही रही है।अब गृह मंत्रालय भी नहीं संभल रहा है।मणिपुर के हिंसा में 100 से अधिक लोग मारे गए, लेकिन हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रहा है।पीएम के विदेश से वापसी पर लगा कि मणिपुर की हिंसा पर अपनी चुप्पी तोड़ेंगे, लेकिन इन्हें इससे जरूरी काम एक दिन में 5 वन्दे भारत ट्रेन की हरी झंडी दिखाना था। हालांकि यह काम रेलमंत्री भी कर सकते थे लेकिन फिर मोदी मोदी ... का शोर कैसे होता ?  मणिपुर में जारी हिंसा पर पीएम नरेंद्र मोदी के रुख़ को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. उनके आलोचक आरोप लगा रहे हैं कि नरेंद्र मोदी राज्य में हिंसा के बीच अमेरिका चले गए. उन्होंने अब तक कोई बयान नहीं दिया है.

हालांकि अमित शाह का कहना है कि नरेंद्र मोदी को राज्य के हालात के बारे में हर दिन जानकारी दी जा रही है. वो राज्य के हालात से बख़ूबी वाकिफ हैं.

जब हमने श्रीमा से पीएम मोदी के मौजूदा की कथित चुप्पी के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि ये सवाल सिर्फ़ राज्य के बाहर ही नहीं अंदर भी उठ रहे हैं.

उन्होंने कहा, "यहां महिलाओं के काफ़ी बड़े-बड़े संगठन है. हर दिन मैं ख़बरों में सुन रही हूं कि ये संगठन ये सवाल ज़ोर-शोर से उठा रहे हैं कि मोदी जी की केंद्र सरकार इस मामले पर चुप क्यों है. बीरेन सिंह सरकार ने मोदी सरकार बात क्यों नहीं की? दरअसल, हमारे लोगों का केंद्र और राज्य सरकार दोनों से विश्वास उठ गया है.’’

वो कहती हैं, "यहां वोटर मेनिफेस्टो देख कर या पार्टी लाइन पर वोट देकर सरकार नहीं बनाते हैं. वो केंद्र की सरकार को देख कर सरकार बनाते हैं. लेकिन अब लोगों को लग रहा है कि वे ठगे गए गए हैं."

मणिपुर में काम कर रहे मानवाधिकार कार्यकर्ता के. ओनील कहते हैं,’’अगर नरेंद्र मोदी और अमित शाह शांति बहाली के लिए काम कर रहे होते तो ज़मीन पर इसके नतीजे देखने को मिल जाते. दरअसल, मणिपुर में अभी जो हालात हैं वो इनके इसी रवैये का नतीजा है.’’

वो कहते हैं,’’ अमित शाह ने मणिपुर के हालात को लेकर जो सर्वदलीय बैठक की है वो भी सिर्फ़ दिखावा ही है. कई विपक्षी पार्टियों ने तो कहा कि उन्हें सही से अपनी बात तक नहीं रखने दी गई.’’


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