हाय रे बेवफ़ा !- प्रसिद्ध कुमार।

  




 तू मरद  बा कि माथा के दरद रे  ! -"

 जोरू जमीन जोर के , नहीं तो कोई और के।"

" लिख कर तेरा नाम जमीं पर पत्नी पत्नी करता हूँ, तेरी ही सज़दा करता हूँ !" यही अभी कर रहे है डेवोडेड हसबैंड !

हर मर्द के कामयाबी के पीछे पत्नी की हाथ होती है और पत्नी की कामयाबी के पीछे पति का हाथ हो तो बेचारे पति पत्नी विहीन हो जाते हैं।

आलोक  की  साल  2010 में उसकी वाराणसी के चिरई गांव की रहने वाली ज्योति से शादी हुई। ज्योति ने शादी के बाद आगे की पढ़ाई करने की इच्छा जताई। उसके बाद आलोक ने अपनी छोटी सी तनख्वाह में से पैसे काटकर उसकी पढ़ाई के लिए रुपये जोड़े। उन्होंने उसका दाखिला प्रयागराज के एक अच्छे कोचिंग सेंटर में कराया था।

साल 2015 में जिस दिन उसके घर दो जुड़वा बेटियां हुईं, उसी दिन पीसीएस का रिजल्ट आया और ज्योति का सेलेक्शन पीसीएस में हो गया। पूरे घर में खुशी छा गई। उस समय ज्योति ने इसका श्रेय अपने पति आलोक मौर्य और ससुर को दिया। मगर आज  पीसीएस पत्नी ज्योति ने अपने उसी पति और उसके परिवार वालों के खिलाफ दहेज मांगने, बदनाम करने और उत्पीड़न करने का आरोप लगाते हुए धूमनगंज थाने में मुकदमा दर्ज कराया है।

खुद मजदूरी करके ,सफाई के काम करके  पत्नी को sdm बना दिया।मध्यप्रदेश में एक पंडित जी पंडिताई करके  पंडिताइन के डीएसपी बना दिया। दोनों के पतिदेव पत्नी के सफल होने पर मिठाई बांटी, लेकिन यह बात गंवारा लग रहा था गंवार पतियों के हरकत से। पत्नी ऊंची ओहदे पर चली गई, सोसाइटी बदल गई।सोसायटी में एक से बढ़कर एक हैंडसम, इंटेलिजेंट मिलने लगे। पत्नी घर आकर पति को देखती तो मानो काटने दौड़ती। फिर क्या ? जब पद हो पावर हो, हुस्न भरी जवानी हो तो चाहने वालों की कमी नहीं है यूं कहें लुटाने वालों का कमी नहीं है। दोनों श्रीमतीजी को हुस्न के दीदार करने वाले मिल गए। दोनों अपने पति से तलाक लेने की अर्जी लगा दी ।दोनों पर दहेज उत्पीड़न का मामला भी दर्ज हो गया।दोनों अपनी पत्नी की तस्वीरे लेकर फ़फ़क फ़फ़क के रोकर जमाने से, मीडिया वाले से अनंन्त दुखड़ा सुना रहे हैं।लोग सुनकर सहानुभूति दिखा रहे हैं लेकिन उसकी पत्नी कैसे  उसके पास चली जाए ये कोई नहीं बता रहा है।  न्याय करने वाले भी समझ रहे हैं कि लोचा कहाँ है? लेकिन कानून को साक्ष्य चाहिए, भावनाओं का कोई कद्र नही होता है । ऐसे तो सातों जन्म तक साथ रहने की स्वांग रचने वाली से प्रायः  लोग नित्य के नाज नख़रे से परेशान ही रहते हैं, बहुतों को जीना हराम है। जैसे राष्ट्र के प्रहरी की नज़र दुश्मनों पर  रहती है वैसे ही पत्नी की नज़र पति पर रहती है, इंटेलिजेंस  भी मजबूत होती है। पति इस मामले में उदार चित के होते हैं।जवानी की रवानी को कोई नहीं रोका है। दान पुण्य किया ये समझकर भूल जाओ। खुद पढ़ने में भार पड़ता था , स्टेपनी को पढ़ाया लिखाया तो स्टेपनी कब बदल जाये कौन जानता है।

 ऊंचे ओहदे पर पहुंचने के बाद अपने पतियों के साथ नहीं रहना चाहती। काउंसलर्स का मानना है कि पत्नियां जब किसी विभाग में ऊंचे पदों पर पहुंच जाती हैं तो घर में भी उनका वैसा ही परिवार के साथ बर्ताव होता है। इससे रिश्तों में कड़वाहट बढ़ने लगती है और तलाक तक मामले पहुंच रहे हैं।

बैरसिया निवासी पंडित पति ने अपनी पत्नी को पढ़ा-लिखाकर सब इंस्पेक्टर बनाया, लेकिन पद मिलते ही पत्नी ने पति को उसकी हैसियत दिखा दी। इंदौर में पदस्थ पत्नी ने पति से तलाक का केस लगा दिया। काउंसलिंग में पत्नी ने कहा कि पति की हैसियत नहीं है कि वह मुझे अपने साथ रख रख सके। वहीं, पति ने बताया कि शादी के समय ये कुछ भी नहीं करती थी, लेकिन उसके बाद तीन-चार साल तक उसे पढ़ाया-लिखाया, ताकि अपने पैरों पर खड़ी हो सके। पंडिताई कर भोपाल में रखकर उसे कोचिंग दी और अब अफसर बन गई तो अब मेरे साथ नहीं रहना चाहती।

   चूंकि दो पुरुषों यूं कहें महान पुरुषों की अनंन्त पीड़ा है इसलिए मैं सहानुभूति रखता हूँ कि फिर से ये दोनों भी नये जीवन साथी की तलाश करें और इस बार 24 कैरेट सोने की तरह शुद्ध हो और फिर पढ़ाने  - लिखाने की गलती न करना । घाघ कवि कहते थे -" जोरू जमीन जोर के , नहीं तो कोई और के।"  जमीन और जोरू कमजोर के हाथों में है तो दूसरों के हाथों में जाने में देर नहीं लगेगी । अर्थात जबर्दस्ती कब्जा हो जाएगा और दोनों के स्वामी मुँह ताकते रह जाते हैं।घाघ कवि की कहावत चरितार्थ हुआ है बस।

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