मेरी माटी, मेरा देश अभियान में शहीद जयगोविंद यादव व इनके गांव बाबूचक उपेक्षित क्यों ? -प्रसिद्ध यादव।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने मासिक रेडियो संबोधन मन की बात में स्वतंत्रता दिवस की तैयारियों के तहत पूरे देश में अमर बलिदानियों की याद में मेरी माटी, मेरा देश अभियान चलाए जाने की घोषणा की। मोदी ने कहा कि अमृत महोत्सव की गूंज पूरे देश में हर तरफ सुनाई दे रही है। बिहार राज्य के पटना जिला के फुलवारी शरीफ़ प्रखंड के बाबूचक गाँव के 1965 में भारत पाक युद्ध में शहीद हुए जयगोविंद प्रसाद यादव व इनके गांव उपेक्षित क्यों है? इनके नाम पर स्मारक की बात तो दूर एक ईंट तक लगा हुआ है। इस संबंध में मैं कई बार देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री ,बिहार के मुख्यमंत्री को मेल से आवेदन दे चुका हूं लेकिन सम्मान देने की बात तो दूर पत्र का जवाब भी देना उचित नहीं समझते हैं। स्थानीय विधायक कॉम गोपाल रविदास ने इस संबंध में विधानसभा में तारांकित प्रश्न उठाया था लेकिन नतीजा शून्य। शहीद की विस्तृत जानकारी निम्नलिखित है -वीर अमर शहीद जय गोविंद प्रसाद यादव पिता का नाम स्व मिसरी प्रसाद यादव ग्राम - बाबूचक पो महम्मदपुर थाना फुलवारी शरीफ, जिला - पटना( बिहार) 801105 7 वीं बटालियन बिहार रिजिमेन्ट दानापुर के सिपाही संख्या 4237755 था। 27 अगस्त 1965 को छमजूरिया, जम्मू कश्मीर में अदम्य साहस, सूर्यवीरता के साथ राष्ट्र हित में बलिदान हो गए थे के संबंध में -
1 उक्त शहीद के सम्मान में बिहार सरकार ने कोई आदमकद प्रतिमा या स्मृति चिन्ह क्यों नहीं बनाई ?
2 सरकार के पास शहीदों के सम्मान के लिए कौन कौन सी योजना है? सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन क्या शहीद के सम्मान में होगा?
3 शहीदों के परिजनों को सरकार द्वारा कौन कौन सी लाभ मिलती है? क्या उक्त शहीद के परिजनों को लाभ मिलेगा ?
4 शहीद के पुण्यतिथि को राजकीय सम्मान के साथ मनाया जाता है? उक्त शहीद के साथ मनाया जाएगा?
शहीद के पैतृक गांव बाबूचक के विद्यालय, सड़क का नामकरण शहीद के नाम पर होगा ?
इसमें मुख्य रूप से तीसरे प्रश्न को बिहार विधानसभा के पंचम सत्र तारांकित प्रश्न संख्या 5076 में सम्मिलित किया गया। जो स्थानीय विधायक माननीय श्री गोपाल रविदास द्वारा उठाया गया।
इसके उत्तर में बताया गया कि-
दिवंगत महानुभावों की प्रतिमा स्थापना हेतु अनुशंसा देने के लिए विभागीय संकल्प संख्या 730 दिनांक 30/ 4/ 2007 द्वारा राज्य स्तरीय अंतर्विभागीय समिति एवम जिला स्थल चयन समिति गठित है।
शहीद जय गोविंद प्रसाद की प्रतिमा प्रशनगत स्थल पर स्थापित किये जाने संबंधी कोई प्रस्ताव सरकार के विचाराधीन नहीं है।
सवाल है कि
सरकार के पास जय गोविंद प्रसाद यादव के प्रशनगत स्थल पर प्रतिमा या स्मृति बनाने का सरकार के पास कोई प्रस्ताव विचारणीय नही है तो क्या अब विचारणीय योग्य नहीं है?सरकार द्वारा जिला समिति गठित है उसमें जयगोविंद प्रसाद यादव का नाम है? सरकार को स्पष्ट करना चाहिए।
गठित समिति में शहीद के नाम की अनुशंसा कौन करेगा?
चयन समिति जय गोविंद प्रसाद यादव की नाम को चयन समिति शीघ्र नामित करे।
" मैं भारत सरकार और अपनी ओर से आपके दुःख में यह संदेश भेज रहा हूँ। भारत की जनता की हृदय से भी आप के साथ है।देश की सेवा में यह बलिदान हुआ है।उसके लिये सारा देश कृतज्ञ है।हम सब की प्रार्थना है कि इस महान शोक में भी आपको धैर्य और शांति प्रदान हो।
- लाल बहादुर शास्त्री
प्रधानमंत्री भवन
नई देहली
16 सितम्बर 65
सेवा में,
श्रीमान मिसरी प्रसाद यादव
पिता स्वर्गीय सिपाही जय गोविंद प्रसाद यादव
गांव - बाबूचक
डाकखाना - मुबारक पुर
जिला - पटना( बिहार)
तत्कालीन प्रधानमंत्री शास्त्री जी द्वारा लिखी गई भावपूर्ण इस पत्र को अवलोकन करें।
न भारत के प्रधानमंत्री शास्त्री जी की इस भावनाओं का कद्र हुआ न शहीद जय गोविंद प्रसाद यादव को सम्मान मिला, न इसकी जन्मभूमि बाबूचक में भी कोई स्मृति है। आज के युवा पीढ़ी से इस गांव के शहीद के बारे में कोई पूछे तो कोई नहीं जानता है? क्योंकि कोई स्मृति ही नही है कि गौरवशाली अतीत को कोई जानें।
15 अगस्त निकट आ रहा है, ऐसे में पूरे देश में एक बड़ा अभियान शुरू किया जा रहा है। यह अभियान देश के बलिदान होने वाले वीर सपूतों के लिए है। पीएम ने कहा कि इस अभियान के तहत देश भर में उन लोगों के सम्मान में कार्यक्रम होंगे जिन्होंने राष्ट्र के लिए अपने प्राण बलिदान किए।
इस अभियान में वीर बलिदानियों की स्मृति मे लाखों ग्राम पंचायतों में विशेष शिलालेख स्थापित किए जाएंगे। एक अमृत कलश यात्रा निकाली जाएगी। इस कलश यात्रा में देश के अलग-अलग कोनों के गांवों की मिट्टी लेकर 7500 कलश दिल्ली लाए जाएंगे। इस यात्रा में देश के तमाम हिस्सों से पौधे भी लगाए जाएंगे।
लालबहादुर शास्त्री जी अपने पत्र में शहीद जय गोविंद प्रसाद यादव के सम्बंध में लिखे थे कि" सारा देश कृतज्ञ है।" और यहां जन्मभूमि के लोग भी अनभिज्ञ हैं। क्या यही हमारा देश प्रेम है ? या देश प्रेम का ढोंग है।
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