धीरेंद्र के बिगड़े बोल !मंगलसूत्र ना पहने हो तो मान लो कि ये प्लॉट अभी खाली है.

  


 सांसद मंत्री जब अंधा हो जाये तो आम आदमी को क्या कहेंगे ?आम आदमी इन नेताओं को बुद्धिजीवी समझकर अनुसरण करते हैं।लेकिन ये नेता बैल बन जाये तो आम आदमी को बैल नहीं बनना चाहिए। बागेश्वर प्रवचन करता है कि " जो महिला मांग में सिंदूर लगाती है, मंगल सूत्र पहनती हैं तो इसका मतलब है कि उस प्लाट की रजिस्ट्री हो गई है और जो औरतें ऐसा नहीं करती है तो इसका मतलब है कि यह प्लॉट खाली है।"  यह वाक्य कोई साधारण व्यक्ति भी नहीं बोल सकता है फिर ये ढोंगी भरी सभा में महिलाओं के बीच बोलने का दुःसाहस कैसे किया? अगर ऐसी अभद्र बात की तो उसकी ऑन स्पॉट इलायज क्यों नहीं हुआ ? जो सांसद ,नेता,मंत्री इसके आरती उतारे हैं, उनसे पूछना चाहिए कि  ऐसे लफंगे के आरती करने के लिए ही चुना गया था क्या ? ऐसी बातें बोलने वाला साधु संत की बात तो दूर,साधारण व्यक्ति भी नही बोल सकता है।यह सड़क छाप टपोरी की भाषा है और इसे जितनी निंदा की जाये कम है। ऐसे ढोंगियों के पास अपनी माँ बहन को भूलकर भी न जानें दें और न खुद जाएं।जो जाता है उसे जाने दीजिए, पर्ची निकलवाने दीजिए।

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