स्मृति दोष ! ( कहानी )-प्रसिद्ध यादव।
मूलचंद देश दुनिया की खबरें जानने के लिए बेचैन रहते थे।एक बार अखबार पढ़ लेते थे तो पूरी खबरें उनके दिमाग में बनी रहती थी।वे लोगों को मुंहजबानी खबरें सुनाया करते थे।इनके 60 वर्ष की आयु में भी मजबूत स्मृति की तारीफ़ करते थे। सुबह सुबह अखबार दरवाजे पर दस्तखत दे चुकी थी।मूलचंद झट से आंखों पर चश्मा चढ़ाए और लपके अखबार की ओर ।हाथ में अखबार लिए और चश्मा ढूंढने लगे। वे खोजते खोजते थक हार गए।छोटा पोता दादा की बेचैनी को देख रहा था लेकिन वो समझ नहीं पा रहा था कि दादा जी आंखों पर चश्मा लगाए हाथों में अखबार लिए क्यों बेचैन हैं? क्योंकि मूलचंद अखबार पढ़ने के बाद ही कोई अन्य काम करते थे। आखिरकार पोता ने दादा से बेचैनी का कारण पूछ ही लिया। दादा ने बड़ी निराशा भरे शब्दों में कहा कि " बाबू !हाथ में अखबार आज जाएं और नहीं पढ़ें तो कितनी तकलीफ़ होती है?" '"लेकिन दादा जी अखबार क्यों नहीं पढ़ रहे हैं? प्रत्युत्तर में पोता बोला। " पोता मैं 20 मिनट से अपनी चश्मा ढूंढ रहा हूँ, लेकिन याद नहीं आ रही है कि कहाँ रख दिया है?घर के कोना -कोना छान मारा।" पोता धीरे से गया और दादा जी के आंखों पर चढ़े चश्मा को पकड़ कर बोला कि " दादा जी यह क्या है?" दादा एकदम सन्न रह गए कि यह क्या हो गया? इतना स्मृति दोष कैसे हो गया?कहीं बढ़ती उम्र के कारण तो नहीं है या तनाव के कारण?
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