कितना बड़ा संयोग है 27 अगस्त रविवार 2023 का।-प्रसिद्ध यादव।
कभी कभी मुझे लगता है कि यह कार्यक्रम करने की प्रेरणा कहाँ से मिल रही है?मुझे खुद समझ में
नहीं आता है।
अगर किसी ऐतिहासिक दिन का स्थल ,दिन,तारीख,महीना सब एक हो तो क्या कहना ? 27 अगस्त 1939 के दिन भी रविवार था ।सावन महीना का अधिक मास था जो इस बार 27 अगस्त 2023 को है। अगर कुछ नहीं होगा तो वो पराक्रमी नेताजी सुभाषचंद्र बोस भौतिक रूप से नहीं हैं और ना ही उनके भाषण सुनने वाली जनता होगी ।न वो गुलामी की जंजीरों में बंधा हुआ देश है। समानता यह है कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस के विचार होंगे और उन पुरखों के वारिस स्रोता जनता होगी। महान राष्ट्रभक्तों की तपस्या से स्वतंत्र भारत है। 84 साल बाद हम उस अतीत में झांकेंगे, उसी मिट्टी से तब मन कितना प्रफुल्लित होगा? हमारे आंखों के सामने बैक प्ले होगा।हम उस पल के गवाह होंगे। " मैं सुभाषचंद्र बोस हूँ " एकल नाटक की वॉइस ओवर सुन सकते हैं। सचमुच उस वक्त आपको नेताजी की याद आ जायेगी। और बहुत कुछ देख सुन सकते हैं लेकिन इसके लिए आपको 27 अगस्त को साक्षी बनना होगा। इस कार्यक्रम को तैयारी में अनेक लोग जी जान से लगे हुए हैं फिर आप क्यों नहीं?
जयहिंद!
Comments
Post a Comment