रोकती रही प्रजा, पिता की वचनबद्धता में राम गए वन
- जेडी वीमेंस कॉलेज में तुलसी जयंती पर रामायण के कैकई संवाद- राम वन गमन का मंचन
- कार्यक्रम में बोले मंत्री छात्राओं की बेहतरीन शिक्षा के लिए मुख्यमंत्री प्रतिबद्ध
पटना। रघुकुल की रीत को निभाने के लिए मर्यादा पुरुषोत्तम राम अयोध्या वासियों के लगातार मनाने, पैर पकड़ने,आंसू बहाते रहने के बावजूद पिता की वचनबद्धता के कारण वन गमन कर गए। इस दौरान प्रजाजन दोनों हाथ जोड़ नमन करते रही,आंसू बहाते रही,लेकिन माता-पिता के वचन को निभाने के लिए रघुनंदन ने मुनि वेश में लक्ष्मण व सीता के साथ वन के लिए प्रस्थान किया। यह देख जेडी वीमेंस कॉलेज की छात्राएं भी अपने आंसुओं को रोक नहीं सकी। मौका था तुलसी जयंती के अवसर पर कॉलेज के हिंदी विभाग की ओर से आयोजित कैकई संवाद एवं राम के वन गमन नाट्य मंचन का। रामायण के इन दृश्यों को सभी छात्राओं ने सजीव कर दिया। तुलसीदास जयंती समारोह की शुरूआत दीप प्रज्वलन, शंखनाद के साथ गणेश स्तुति नृत्य से की गयी। पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए राज्य के भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि छात्राओं की सहभागिता छात्रों से कम नही बल्कि कई क्षेत्रों में ज्यादा है। रामचरितमानस के संस्कारों का अनुकरण आज के युवा पीढ़ी के लिए आवश्यक है। गोस्वामी तुलसीदास रामचरितमानस लोक संस्कार एवं सामाजिकता से हमारा परिचय करवाती है।
प्रति कुलपति प्रोफेसर गणेश महतो ने कहा कि प्रभु श्री राम त्याग और तपस्या के प्रतिमूर्ति थे। तुलसीदास के रामचरितमानस में बाल्यावस्था से लेकर अन्य सभी काल के उच्चतम आदर्श का वर्णन किया गया है साथ ही इसमें राजनीतिक परिदृश्य भी देखने को मिलता है जो कहीं और नहीं मिलता है। उन्होंने कहा कि आयोजन से हमारे युवा पीढ़ी को हमारी संस्कृति, हमारे लोकाचार और विरासत से रूबरू होने का मौका मिलेगा। आगत अतिथियों का स्वागत करते हुए प्राचार्य प्रोफेसर मीरा कुमारी ने कहा कि हर वर्ष हिंदी विभाग की ओर से तुलसी जयंती पर रामायण के किसी एक अंश को प्रस्तुत कर छात्राओं को अपनी संस्कृति से रूबरू कराया जाता है। इससे उन्हें अपने पुरातन की जानकारी भी मिलती है। विभागाध्यक्ष प्रो रेखा मिश्रा ने कहा कि भारतीय राज व्यवस्था, समाज व्यवस्था,लोक व्यवस्था और सांस्कृतिक व्यवस्था की जब भी बात होगी तो तुलसीदास को अनिवार्य रूप से याद किया जाएगा। इस दौरान महाविद्यालय की पत्रिका 'दीप्ति' का भी लोकार्पण आगत अतिथियों के द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ स्मृति आनंद ने, जबकि धन्यवाद ज्ञापन
डॉ विनीत आशीष पाण्डेय ने किया। इस दौरान विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण डीन प्रोफेसर ए के नाग,ए एन कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर प्रवीण कुमार, पीजी हिंदी विभाग की पूर्व विभाग अध्यक्ष उषा सिंह ने भी छात्राओं का उत्साहवर्धन किया। कार्यक्रम में विभाग की शिक्षिका डॉ प्रियंका कुमारी, डॉ मीनाक्षी, डॉ ब्रजवाला साह, डॉ सीमा कुमारी,डॉक्टर हिना रानी, प्रोफेसर पूनम कुमारी आदि भी थी।
शानदार प्रदर्शन के लिए मिला पुरस्कार
बेहतरीन अभिनय के लिए दशरथ का पात्र निभाने वाली रोमा को प्रथम पुरस्कार, कौशल्या की पात्र राधा कुमारी को द्वितीय पुरस्कार एवं कैकेयी की पात्र हेमा को तृतीय पुरस्कार दिया गया। विशिष्ट पुरस्कार के रूप में राम के पात्र निभाने वाली छात्रा रिया,लक्ष्मण के पात्र निभाने वाली छात्रा कोमल व सीता का पात्र निभाने वाली छात्रा आर्या कुमारी एवं मंथरा की पात्र नेहा कुमारी को दिया गया। इसी क्रम में राममय नृत्य की प्रस्तुति की गयी। इसमें प्रथम पुरस्कार राम सिया राम नृत्य गीत पर नृत्य करने वाली छात्रा ज्योति, सोनाली, अर्वी को द्वितीय पुरस्कार, आज मिथिला नगरिया गीत पर नृत्य करने के लिए प्रिया एवं खुशी को तथा तृतीय पुरस्कार राजधानी लागे गीत पर नृत्य के लिए खुशी, शिवानी एवं सनम को दिया गया। विशिष्ट पुरस्कार गणेश स्तुति पर नृत्य के लिए खुशी सिंह को दिया गया। नाट्य,नृत्य एवं संगीत निर्देशन के लिए महाविद्यालय के अतिथि संगीत आचार्य डॉ विनीत आशीष पाण्डेय को भी स्वर्ण पदक एवं प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया। समारोह में मंच संचालन प्रगति अवस्थी ने किया।
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