रक्षाबंधन का ऐतिहासिक महत्व।

 

     



  पहले धर्मों के नाम पर भेदभाव नहीं थे।हाँ आतताइयों ने नफरत के नाम पर लूट मार खूब किया था। इसके बावजूद हम एक दूसरे धर्म के लोगों के प्रति आदर भाव रखते थे।भाई बहन जैसे पावन रिश्ते रखते थे लेकिन आज कुछ अपवादों को छोड़ दें तो ये भाव नफरत ,घृणा में बदल रहा है जो ठीक नहीं है। रक्षाबंधन का ऐतिहासिक महत्व को देखें तो लगता है कि कैसे एक पत्र मिलने पर दो समुदायों के लोग धर्म के भाई बहन बन गए थे और रक्षा भी किये थे।मुगल सम्राट हुमायूं अपने राज्य का विस्तार करने में लगा था तो दूसरी ओर गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह ने 1533 ईस्वी में चित्तौड़ पर आक्रमण कर दिया था. ऐसे में महारानी कर्णावती ने राजपूतों और मुस्लिमों के संघर्ष के बीच हुमायूं के सामने प्रस्ताव रखा कि हम परस्पर संधि करके अपने समान शत्रु बहादुरशाह का मिलकर सामना करें.
महाराणाी कर्णावती महाराणा सांगा की विधवा रानी थी. मुगल सम्राट हुमायूं ने रानी का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया. हुमायूं को रानी ने अपना धर्मभाई बनाया था. इसलिए हुमायूं ने भी राखी की लाज रखते हुए उनके राज्य की रक्षा की.
मुगल शासक हुमायूं को पत्र लिखने के और उसका जवाब आने के बाद हुमायूं समय पर नहीं पहुंचा. इस वजह से बहादुर शाह की सेना ने मेवाड़ पर आक्रमण कर दिया. महारानी कर्णावती ने अपने दोनों पुत्रों को अपना बूंदी भेज दिया और कर्णावती ने हज़ारों राजपूतानियों के साथ जौहर किया.बाद में हुमायूं मेवाड़ जीतकर कर्णावती के पुत्रों के हवाले कर दिया था।आज अपनी बहन की रक्षा नहीं हो पा रही है, दूसरों की बात क्या करें।

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