फल विक्रेता की सुपुत्री ऐश्वर्या मिश्रा ने जीती पदक।-प्रसिद्ध यादव।
कहते हैं होनहार बिरवान के होत चिकने पात। ऐसा ही कर के दिखाई ऐश्वर्या मिश्रा । जो जिद पर एक बार ठान ले तो गरीबी भी साथ दे देती है। भारत की इस बेटी का नाम ऐश्वर्या मिश्रा है, जिन्होंने एशियन गेम्स में, 4×400 मीटर की दौड़ में सिल्वर मेडल जीतकर अपने परिवार के साथ-साथ पूरे देश का नाम रौशन कर दिया है. ऐश्वर्या मिश्रा के पिता का नाम कैलाश मिश्रा है, जो असल में उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं, लेकिन मुंबई के दहिसर इलाके में रहते हैं. कैलाश मिश्रा फल और सब्जी की एक छोटी सी दुकान चलाते हैं, लेकिन उनकी ख्वाहिश अपनी बेटी को ओलंपिक गेम तक पहुंचाने की है. उन्होंने शुरू से अपनी बेटी को एथलीट बनाने का हर संभव प्रयास किया, जो अब रंग लाता दिख रहा है.
मुंबई में 10 बाय 10 के एक छोटे से कमरे में अपने परिवार के साथ रहने वाले कैलाश मिश्रा ने अपनी बेटी ऐश्वर्या को पैसे उधार लेकर एक महंगा जूता खरीदकर दिया था, ताकि उनकी बेटी उसे पहनकर दौड़ने का अभ्यास कर सके. ऐश्वर्या उस जूते के फटने के बाद भी उसे पहनकर अभ्यास किया करती थी, और फिर उसने एक दिन गोल्ड मेडल जीत लिया था. उसके बाद ऐश्वर्या पर एक ऐसे कोच और एथलीट ट्रेनर की नज़र पड़ी, जो उनकी सफलता की सीढ़ी बन गए.
ऐश्वर्या के पिता ने अभी तक उन फटे हुए जूतों को संभालकर रखा है. ऐश्वर्या मिश्रा ने 11 साल की उम्र से ही एथलीट बनने की ठान ली थी. अपने पिता के साथ उसने इतनी कड़ी मेहनत की कि आज उनका छोटा सा घर ढेर सारे मेडल से भर चुका है. मुंबई के जिस झुग्गियों वाले क्षेत्र में ऐश्वर्या का परिवार रहता है, आज वहां रहने वाले सभी लोग भारत की इस बेटी पर गर्व कर रहे हैं. ऐश्वर्या की मां ने बताया कि, "उनके परिवार ने जो भी मजबूरियां, और परेशानियां झेली हैं, इस जीत के आगे वो सब कुछ फीकी हो गई है. हमने 32 महीनों से अपनी बेटी को नहीं देखा है, सिर्फ फोन पर बात हो जाती है, लेकिन आज हम सबको उसपर गर्व है." आज पूरे देश को आप पर गर्व है।
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