शत्रु को हमेशा अपनी शक्ति का अहसास कराते रहना चाहिए.-चाणक्य।

 

    



चाणक्य की बातें आज भी प्रासंगिक हैं और इसे अपने जीवन में गांठ बांध लेनी चाहिए। छल कपट में आदमी अपने मित्र को शत्रु और शत्रु को मित्र समझ लेता है।शत्रु के प्रति कभी भी दया भाव नहीं रखना चाहिए न अपने आसपास उसे फटकने देना चाहिए। अगर उससे आप सहज ,सरल बन जाते हैं तो उसका मन बढ़ जाता है और यह घातक साबित होता है।रणक्षेत्र में अर्जुन को श्रीकृष्ण द्वारा दिया गया उपदेश हमेशा याद रखना चाहिए।शत्रुओं पर प्रहार करते समय कभी हाथ नहीं कांपना चाहिए और उसे लेस मात्र भी अपना नहीं समझना चाहिए।ऐसे लोगों को इस धरती पर कोई पराजित नहीं कर सकता।बशर्ते युद्ध सत्य के लिए हो।
      सच्चा मित्र- चाणक्य नीति कहती है कि सच्चे मित्र को कभी नहीं भूलना चाहिए. चाणक्य के अनुसार सच्चा मित्र जीवन में उपहार की तरह होता है, इसका ध्यान रखना चाहिए. जो मित्र बुर वक्त में आपका साथ निभाए, ऐसे मित्र को कभी नहीं भूलना चाहिए. ऐसे मित्र की कड़वी बातों को भी स्वीकार करना चाहिए. इसके साथ ही जो मित्र सही सलाह दे और बुरी आदतों पर ठेके ऐसे मित्र को भी सम्मान प्रदान करना चाहिए.
शत्रु को याद रखें- चाणक्य नीति कहती है कि शत्रु को कभी नहीं भूलना चाहिए. शत्रु आपकी लापरवाही का लाभ उठाने का प्रयास करता है. शत्रु पर हमेशा नजर रखनी चाहिए, उसकी गतिविधियों पर ध्यान देना चाहिए. शत्रु को कभी कमजोर नहीं समझना चाहिए. जो लोग शत्रु को कमजोर समझने की भूल करते हैं वे आगे चलकर हानि उठाते हैं. शत्रु को हमेशा अपनी शक्ति का अहसास कराते रहना चाहिए.

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