फर्जी जमाबंदी होगी रद्द ,दोषियों पर होगी कार्यवाही।

    


  बिना मोल के बिक जइबू... माया के बजरिया में 

पैसों से अक्ल नहीं आती,डिग्रियां जरूर मिल सकती है। अधिक पैसों से सुख भी नहीं होता है। धूर्तता मूर्खता है यानी खुद के लिए गढ़े खोदना। सत्य के बहुत कम शब्द होते हैं लेकिन झूठ की केवल दलीलें ही होती है।  बोलने से अधिक सुनने की आदत डालनी चाहिए। एक झूठा कितनों की जीवन खतरे में डाल सकता है, इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है। पारखी नजरों के सामने झूठ नहीं चलती है। झूठ बोलने वाले पर मुझे तरस आता है कि कैसे अपने हाथों नंगे होने के लिए तैयार हो जाता है। ऐसे लोगों को अंतरात्मा धिक्कारता है कि नहीं?  आइये एक बानगी से समझें - 

एक जमीन की पूरा क्षेत्रफल 50 डिसमिल दो व्यक्ति लेकर खरीदा। दोनों आदमी अपने अपने हिस्से का दाखिल ख़ारिज करवा लिया। दूसरा आदमी उस पलो5 के पूरे क्षेत्रफल बाप बेटा मिलकर 50 डिसमिल करवा लिया।नतीजा वर्तमान में 50 डिसमिल क्षेत्रफल की जमीन 75 डिसमिल हो गया क्योंकि तीनों  का लगान लग रहा है। अब जालसाजी का आलम यह है कि जालसाज सीने ठोककर शपथ के साथ कह रहा है कि हम सही है अगला गलत है। पीड़ित केवल एक ही बात पर अर गया कि सबकी जांच हो और जालसाजी करने वाले को सजा हो। आखिर इतना बड़ा जालसाजी कैसे हुई?सिर्फ पैसों के बल पर।पंचायत के कुछ जनप्रतिनिधियों को पैसे की लालच से जमीन होने की बात लिखवा लिया।पीड़ित पक्ष को न्याय पर  भरोसा है और साक्ष्य कभी मरता नहीं है। सत्य परेशान हो सकता है लेकिन पराजित कभी नहीं। पीड़ित को 'धोखा'नाम की कहानी लिखकर सोशल मीडिया पर वायरल कर उसकी मानहानि किया था, जिसकी सबूत आज भी पीड़ित के पास है और समय आने पर ऐसा करने वाले को सबक जरूर मिलेगा।पीड़ित आयकर विभाग से परेशान करने वाले को अकूत संपति की जांच की मांग करने वाले हैं। कहा गया है कि किसी को उतना ही छेड़ो को छोड़ दे, नहीं तो फिर कोई पूछने वाला नहीं होगा।

पैसों के बल पर फर्जी जमाबंदी कायम करवाने वाले और करने वाले अधिकारी ,कर्मचारियों की जगह सिर्फ जेलों में होनी चाहिए।ऐसे लोगों के फर्जीवाड़े से जमीन के असली भू स्वामी को काफ़ी मानसिक तनाव झेलना पड़ता है और समय ,धन भी नष्ट होता है। साथ ही सरकार की भी उर्जा, समय बर्बाद होता है।फर्जीवाड़ा करने वाले को ऑन स्पॉट गिरफ्तारी होनी चाहिए।ऐसे लोगों के कुकृत्य में साथ देने वाले को भी नहीं बख्शा नहीं जाना चाहिए।

  राजस्व एवं भूमि सुधार    विभाग जमाबंदी में सुधार के लिए अभियान चला रहा है। विभाग ने जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर कहा है कि ऐसी जमाबंदियों को रद्द किया जाए, जिसमें जमीन के स्वामित्व का कोई साक्ष्य नहीं है।

विभागीय सचिव जय सिंह ने पत्र में कहा है कि जमाबंदी रद्द करने के साथ ही संबंधित अंचलाधिकारियों पर भी कार्रवाई हो, जिनके हस्ताक्षर से फर्जी जमाबंदी कायम की गई। रैयत भी कार्रवाई के दायरे में आएंगे, जिनके नाम से जमाबंदी है।

पत्र के माध्यम से डिजिटाइजेशन के क्रम में छूटी हुई जमा बंदियों की जांच का आदेश दिया गया है। राज्य में दिसंबर 2017 से अक्टूबर 2018 तक सभी 534 अंचलों की करीब तीन करोड़ 58 लाख जमाबंदियों को डिजिटाइज कर विभाग के पोर्टल पर डाल दिया गया। विभाग पहुंची शिकायतों से पता चला कि कुछ जमाबंदियों में रैयतों के नाम, खाता, खेसरा, रकबा एवं लगान के बारे में गलत प्रविष्टियां दर्ज हो गई हैं। इसके कारण अनेक जमाबंदियां ऑनलाइन नहीं की जा सकी हैं।

अंचल स्तर पर शिकायतों का निपटारा किया जा रहा है। इस प्रक्रिया के तहत अब तक एक करोड़ 18 लाख से अधिक जमाबंदियों में सुधार किया गया है। करीब पौने 10 लाख छूटी हुई जमाबंदियों को ऑनलाइन किया गया है। पत्र के मुताबिक, इस काम में भी गड़बड़ी की शिकायतें अब भी मिल रही हैं। अंचलों द्वारा बिना दाखिल-खारिज की प्रक्रिया अपनाए गलत तरीके से पुराने रजिस्टर-2 में आज भी जमाबंदी कायम की जा रही है। इसे छुटा हुआ हुआ बताकर ऑनलाइन किया जा रहा है।


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