काले धन का वृक्ष से पीढ़ी दर पीढ़ी कायाकल्प !- प्रसिद्ध यादव।
पीढ़ी दर पीढ़ी के आर्थिक समृद्धि, संपन्नता के लिए काले धन के बृक्ष लगाने की प्रचलन बढ़ गया है। इसका समूल्य नाश निश्चित है इसके विपरीत कल्पवृक्ष से जिस वस्तु की भी याचना की जाए, वही यह दे देता है। इसका नाश कल्पांत तक नहीं होता। कायाकल्प प्राचीन काल में आयुर्वेद में कायाकल्प चिकित्सा का महत्वपूर्ण स्थान था। जो व्याधि विविध चिकित्साविधियों से दूर नहीं हो पाती वह कायाकल्प चिकित्सा से समूल नष्ट हो जा सकती है, ऐसा कुछ चिकित्सकों का विश्वास था। काला धन के वृक्ष ऐसा है कि रोपने वाले स्वर्ग भी सिधार जाये तो भी उनके बाल बच्चे इसके स्वादिष्ट फल खाते रहते हैं।ऐसे वृक्ष रोपने वाले आस्तीन के सांप होते हैं।सांप का काटा हुआ कोई बच सकता है लेकिन आस्तीन के सांप का नहीं।यह वृक्ष किसी न किसी दूसरे के खेतों में रोप देते हैं जो सिर्फ रोपने वाले को ही मालूम होता है, जिसके खेतों में रोपा जाता है, उसे मालूम नहीं होता और उनके बच्चों को एकदम नहीं। ऐसे पेंड़ रोपने वाले और जिसके खेतों में रोपा गया हो, दोनों गुजर गए तो मामला बड़ा दिलचस्प हो जाता है। काला धन के संतान ईमानदारी का पाठ पढ़ाता है, अपने फल का दावा करता है लेकिन यह असम्भव है, उल्टे सलाखों में जाने का इंतजाम कर लेता है, क्योंकि इसे अपना पेंड़ बताने की चक्कड़ में ऐसी गलती कर बैठता है कि वो जालसाज और 420 हो जाता है। साक्ष्य कभी मिटता नहीं है और यही बड़बोलेपन उसे कहीं के नहीं छोड़ता है।अर्थ अनर्थ कर देता है, यह प्रवाहमयी, चंचला होती है।लाख चाह कर भी इसे संचित नहीं कर सकते।अगर ऐसा किया तो इसमें जड़ता आ जाती है और फिर इसमें दीमक लगना शुरू हो जाता है। धन संचय करने वाले अपनी पीढ़ियों को काहिल,निकम्मा, आलसी, विलासी,अपव्ययी बना देता है, उसमें संघर्ष करने की क्षमता खत्म हो जाता है। एक धनवान अपनी सजा होने पर अपने नॉकर को जेल में भिजवा दिया था और उसके बदले उसके घर चलाने के लिए पैसे देता था।यह बात जब प्रशासन को मालूम हुआ तो उस धनवान को सारी उम्र जेल में गुजारनी पड़ी।ऐसे ही एक हत्यारा भागते भागते साधु के रूप धारण कर छुपा रहा।एक दिन पकड़े जाने पर ताउम्र जेल में गुजारनी पड़ी।कर्म,कुकर्म पीछा नहीं छोड़ता है और इसे एक दिन भुगतना पड़ता है। ऐसे पेंड़ लगाने वाले को खूब बोलने व फर्जीवाड़ा करने की छूट देना चाहिए और जब सारी करतूते आ जाये तो एक हथौड़ा मार देना चाहिए।सब स्वाहा।कभी गज के फेर में लोग थान हार जाते हैं। कुकृत्य करने वाले कभी बलवान, बुद्धिमान नहीं होता है, बल्कि वो भ्रम में जीता है।जब एक एक कड़ी टूटने लगती है तो असहाय, लाचार हो जाता है लेकिन ऐसे लोगों पर कभी दया नहीं करना चाहिए क्योंकि ये आस्तीन के सांप होते हैं। धैर्य रखें जल्द सवेरा होने वाला है।
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