" क्या बिगाड़ के डर से ईमान की बात न कहोगे?” - मुंशी प्रेमचंद

   पुण्यतिथि पर कोटि कोटि नमन!


  आज यह सवाल हर जगह है। डर से, भय,से,लोभ लालच से अब ईमान की बातें करना  बेमानी हो गया है। ईमान दफ्तर से लेकर चौक चौराहे पर बिकते हैं। बेहाया व बेशर्मी से बेईमानी की बातें होती हैं। झूठ के पर उग आए हैं। चारों तरफ बेईमानों की बोलबाला है ,बहुमत है, निर्णय लेने की क्षमता है। ईमानदारी कोने में दुबके सिसक रहा है। यह एक ऐसा सवाल है, जो आज हम सब से पूछा जा रहा है, पूछा जाना चाहिए। ख़ासकर मीडिया से, लेकिन... कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद का मशहूर कथन है कि-- “क्या बिगाड़ के डर से ईमान की बात न कहोगे?” यह एक ऐसा सवाल है, जो आज हम सब से पूछा जा रहा है, पूछा जाना चाहिए। ख़ासकर मीडिया से। मीडिया आज जैसा सत्ता का भोंपू बन गया है, और सही सवाल पूछने की बजाय प्रोपेगेंडा में मशगूल है। अब बेईमान झूठे नैरेटिव गढ़ कर समाज में नित्य नफ़रत के बीज बो रहे हैं और धर्मों की दुहाई दे रहे हैं। बेईमानों के चेहरे पर नकाब लगे हुए हैं, बहिरूपीए बन घूम रहे हैं। हमें प्रेमचंद के संदेश से सीख लेने चाहिए और  आत्मसात करना चाहिए।


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