भूमाफिया फर्जी जमाबंदी कायम कर बेच दी सरकारी जमीन
कैसे फर्जीवाड़ा कर के जमीन की जमाबंदी अपनों के नाम कर के दूसरे के जमीन पर कब्जा जमा रहा है लेकिन पकड़े जाने पर दांव उल्टा पड़ रहा है और सीधे सलाखों में जाने की तैयारी कर लेता है।इस फर्जीवाड़े में अंचलाधिकारी, कर्मचारी भी नहीं बच पाते हैं। कुछ तो कई दशकों से जमीन पर कब्जा होने की दावा करने से भी नहीं हिचकते हैं और पैसों के बल पर कुछ ग्रामीण और स्थानीय जनप्रतिनिधियों से लिखवा लेते हैं कि जमीन उनकी है।ऐसे में क्या निबंधन कार्यालय स्तित्वहीन हो जाएगा।अगर ऐसी अराजकता हो जाये तो कोई किसी की जमीन को हड़प सकता है। फिरहाल फर्जीवाड़ा कर जमाबंदी कायम करने वाले को शामत आने वाली है। बिहार में जमीन माफिया इस कदर बेखौफ हैं कि सरकार और रेलवे की जमीन को भी नहीं छोड़ रहे हैं। ताजा मामला भागलपुर के साहेबपुर कमाल अंचल का है।
जमीन माफियाओं ने साहेबपुर कमाल अंचल के मल्हीपुर बरारी मौजा और मुंगेर जिला सीमा क्षेत्र के खेसरा नंबर 58 की 283 बीघा गैरमजरुआ जमीन को फर्जीवाड़ा करके अपने नाम जमाबंदी करा ली।
यह मामला तब सामने आया, जब आरोपी अंबरीश चंद्र सिंह और अरविंद चंद्र सिंह ने उक्त जमीन को जल्दबाजी में बेचना शुरू कर दिया। इस दौरान जानकारी मिली कि इस खसरे की करीब 43 एकड़ रेलवे की जमीन पहली ही बेची जा चुकी है।
इस जमीन का 1883 में अधिग्रहण कर तत्कालीन बंगाल सरकार ने रेलवे को सौंपा था। जमीन माफिया इस जमीन को बेचने के बाद भी नहीं रुके और गैर मजरुआ लगभग 20 एकड़ भूमि भी बेच डाली।
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