झूठों से रहें सौ कोस दूर ! -चाणक्य।
झूठे की दलील व झूठे साक्ष्यों को सत्यता के साथ प्रमाणित कर नंगा करना चाहिए और दंड का भागीदार बनाना चाहिए।
कई लोग व्यक्तित्व के विकारों (abnormalities of personality) की वजह से भी झूठ बोलते हैं। यहां तक कि वे अपने झूठ को सच ठहराने के लिए कई तरह की दलीलों, फर्जी दस्तावेजों और अन्य लोगों का सहारा लेने से भी नहीं चूकते।
झूठ बोलने वाले व्यक्ति को सबसे पहले सीआरपीसी (CRPC) की धारा (section)-344 के तहत नोटिस (notice) जारी किया जाता है। इसके पश्चात इस पर सुनवाई (hearing) होती है।
यदि संबंधित व्यक्ति पर झूठ साबित होता है तो उसे 6 महीने की कैद के साथ ही उस पर 500 रुपए से लेकर 1,000 रुपए तक का जुर्माना (penalty) किया जा सकता है। वहीं, यदि किसी ने अपने शपथ पत्र (affidavit) में झूठी जानकारी दी है तो उस पर सीआरपीसी (CRPC) की धारा (section)- 340 के तहत केस दर्ज किया जाता है। झूठा शपथ पत्र (false affidavit) देने के मामले में यदि दोष सिद्ध (prove) होने पर 7 वर्ष की सजा (punishment) का प्रावधान (provision) किया गया है।
चाणक्य का मानना था कि व्यक्ति को हमेशा अच्छी आदतों को अपनाना चाहिए. अच्छी आदते व्यक्ति को महान और सफल बनाती हैं. अच्छी आदतें शिक्षा और संस्कार से विकसित होती हैं. चाणक्य के अनुसार जब व्यक्ति में गलत आदतें आ जाती हैं तो उसकी तरक्की रूक जाती है. समाज और कार्य स्थल पर ऐसे लोगों को सम्मान प्राप्त नहीं होता है. चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को इन दो आदतों से हमेशा दूर रहना चाहिए.
चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को झूठ से सदा ही दूर रहना चाहिए. झूठ बोलने की आदत सबसे बुरी और खतरनाक होती है. जिस व्यक्ति को झूठ बोलने की आदत लग जाती है वह दूसरों को तो हानि पहुंचाता ही साथ ही साथ स्वयं का भी नुकसान करता है. जब ऐसे व्यक्ति की असलियत सामने आती है तो हर कोई दूरी बना लेता है.
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