संविधान ही ताकत ,पूजा - इबादत .. !-प्रसिद्ध यादव।
संविधान दिवस पर बधाई! इस आलेख को पूरा पढ़ें और दूसरों को जरूर शेयर करें।
जो अपने संविधान को समझ लिया, पढ़ लिया वो शक्तिशाली बना। भारतीय संविधान हम देशवासियों को दी है, जो सदियों से वंचित कर बहुजनों को रखा था ।मनुवादी व्यवस्था में बहुजनों को पढ़ने लिखने की अधिकार की बात छोड़ दें, मनुवादियों के ऊपर परछाई भी नही पड़ता था। बाबा साहेब अंबेडकर की कुशाग्र बुद्धि ,महान व्यक्तित्व की देन है कि देश के करोड़ों लोगों की जीवन सम्मान से जीने का अवसर मिला, ऊंचे पदों पर बैठकर सत्ता और शासन चला रहे हैं।कल तक दूसरे की चाकरी करवाने वाले अब खुद शक्ति की धुरी बने हुए हैं। फिर भी अभी नाकाफ़ी है, बहुत कुछ करना बाकी है। अफसोस कि अनेक बहुजन अज्ञानता में लोभ लालच में आकर मनुवादियों के साथ देकर ,उनकी झांसे में आकर बर्बादी के राह पर है।आज लोकसभा में 131 सदस्य sc st के हैं।इसमें 84 sc के और 47 हैं। भारत के विधानसभाओं में 4120 सदस्यों में से 1168 सीटें sc st के हैं बिहार विधानसभा में 243 में से 38 sc और 2 st के लिए हैं।ये सब संविधान से मिला न कि किसी बाबा के चमत्कार या घंटा बजाने से मिला है लेकिन अभी भी कुछ लोगों को लगता है कि ढोंगियों के भभूत , कोई भगवान, देवी देवता की कृपा से और ताबीज़ से जीवन में बदलाव आ जायेगा तो वो निश्चित रूप से अक्ल का अंधा है। समानता का अधिकार जिसमें कानून के समक्ष समानता, धर्म, वंश, जाति लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव का निषेध शामिल है, और रोजगार के संबंध में समान अवसर शामिल है। समानता का अधिकार सबसे बुनियादी और महत्वपूर्ण अधिकार है।
भारत का संविधान अपने सभी नागरिकों को समानता के अधिकार की गारंटी देता है। इसका मतलब यह है कि प्रत्येक भारतीय नागरिक कानून के समक्ष समान है और उसे अन्य सभी के समान अधिकारों और विशेषाधिकारों का आनंद लेने का अधिकार है। यह मौलिक अधिकार संविधान के अनुच्छेद 14 में निहित है। संविधान के अनुच्छेद 17- अस्पृश्यता का उन्मूलन: अस्पृश्यता का अंत किया जाता है और किसी भी रूप में इसका अभ्यास वर्जित है।
धर्म के ठेकेदारों इस सवाल का जवाब आज भी वंचितों पूछते हैं।खून का एक ही रंग,एक ही मिट्टी, हवा, पानी फिर वंचित अछूत कैसे ? इसे ढोंग,आडम्बर नही तो और क्या कहें ? मेरा उपजाया हुआ अन्न,सब्जियां, दूध,घी,माखन मलाई,बुने हुए कपड़े , खोदे गये कुएं, तालाब आदि क्यों नहीं छूत हुए ? मनुवादी अपनी सुविधा के अनुसार आदमी को छूत और उपयोग के समान को अछूत माना। संसद ने 42 वें संशोधन के माध्यम से संविधान के अनुच्छेद 51 ए में एक कर्तव्य को शामिल करके वैज्ञानिक दृष्टिकोण का प्रचार करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया, जो प्रत्येक नागरिक के कर्तव्य के रूप में वैज्ञानिक दृष्टिकोण में विकास करने को कहता है।
लेकिन भारत न केवल जनता के बीच, बल्कि स्वयं वैज्ञानिकों के बीच भी वैज्ञानिक साक्षरता का प्रचार करने में विफल रहा है और इस प्रकार वैज्ञानिक प्रवृत्ति केवल एक उच्च आदर्श बनकर रह गई है और समाज में नहीं फैल पाई है।
भारत में शिक्षा का अधिकार' संविधान के अनुच्छेद 21A के अंतर्गत मूल अधिकार के रूप में उल्लिखित है। 2 दिसंबर, 2002 को संविधान में 86वाँ संशोधन किया गया था और इसके अनुच्छेद 21A के तहत शिक्षा को मौलिक अधिकार बना दिया गया।
शिक्षा का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 (क) में मौलिक अधिकार में शामिल है। फिर भी निजी स्कूल इसका पालन नहीं करते हैं। बिहार में निजी स्कूलों ने इस नियम के आधार पर 25 फीसदी गरीबों बच्चों का नामांकन मुफ्त में अपने संस्थान में नहीं लिया है, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट और अनुच्छेद 226 तहत हाई कोर्ट जन हित से जुड़े मुद्दे में स्वत: संज्ञान ले सकती है.
हमारे संविधान के अनुच्छेद 25 में लिखा है कि किसी भी धर्म के कोई भी व्यक्ति किसी धार्मिक स्थल पर जा सकता है।
हर पर्व त्योहार पर बधाई देने वाले इस अवसर पर बधाई क्यों नहीं?उत्सव क्यों नहीं? जिसका वरदान साक्षात फलीभूत हुआ।
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