शब्दों के महत्व !-प्रसिद्ध यादव।
शब्दों का महत्व जीवन में बहुत है।शब्द ब्रह्म के समान है।शब्द नाद है। सृष्टि की सृजन ध्वनि से ही हुई है।यही ध्वनि शब्द बन गया। शब्दों से ताली और गाली दोनों मिलती है। शब्दों के बोलने के लहज़े पर भी बहुत कुछ निर्भर करता है। कठोर बातें भी अच्छे शब्दों में कहा जा सकता है जो बुरे नहीं लगते हैं।इसके विपरीत अच्छी बात कठोर शब्दों में कहा जाये तो वो बुरा हो जाता है। किसी भी शब्दों का उपयोग उसके व्याकरण की जानकारी में ठीक से होता है। समृद्ध भाषा अधिक शब्दों के ज्ञान से होता है और इसके लिए साहित्य को पढ़ना जरूरी है। साहित्य,संगीत ,गीत आदि में शब्दों का खेल होता है। शुद्ध -शुद्ध शब्द लिखना -पढ़ना तभी आ सकता है, जब आप अधिक से अधिक और सरासरी निगाहों से पढ़ेंगे। यही हाल शब्दों के उच्चारण में होता है। द्विअर्थी शब्दों से अर्थ के अनर्थ हो जाता है।ऐसे शब्दों के प्रयोग करने से बचना चाहिए।अनेक शब्दों के अर्थ लोग नहीं समझ पाते हैं, क्योंकि उनके शब्द भंडार कम होते हैं। शब्दों का प्रयोग उपमा ,अलंकार के रूप में हो तो वाक्यों में चार चांद लग जाती है। लेखन शैली भी अलग अलग होते हैं लेकिन ये सब शब्दों से ही सम्भव है। शब्द ह्रदय को ठंडक पहुंचाता है तो कहीं आग भी लगा देती है। शब्दों के लिंग प्रयोग और भी कठिन है। शब्द तूफ़ान खड़ा कर देता है तो कहीं तूफ़ान को शांत भी कर देता है। शब्दों की चोट जल्दी जाती नहीं है, इसलिए शब्दों के प्रयोग करते समय सावधानी बरतनी चाहिए। गुस्से में शब्दों से नियंत्रण खत्म हो जाता है और कहीं न कहीं विवाद के कारण बन जाता है। संकेत भी शब्द के काम कर देता है।संकेतों में शब्द साइलेंट होता है और यह आंखों के इशारे, बॉडी लैंग्वेज, हाथों के इशारे, चेहरे की भाव भंगिमा, मुस्कुराहट भी बहुत कुछ कह देता है।
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