अपनापन, स्नेह ,ममता है छठ पूजा !

   



छठ पूजा में मानवीय मूल्यों को देखने को मिलता है।हर कोई सेवा भाव से,बिना भेदभाव के से इस पूजा में लगे रहते हैं। राजा हो या रंक सभी एक समान होता है।सभी भाष्कर के सामने याचक होते हैं।विशेषकर महिलाओं की निष्ठा देखने को मिलती है। सुपली में फल फूल,ठेकुआ आदि लिए साक्षात अन्नपूर्णा देवी लगती हैं। सूर्यास्त के पूर्व और सूर्योदय के पहले सरोवर, नदियों में भाष्कर को अर्ध्य देने के लिए खड़े लोगों के अद्भुत नजारा देखने को मिलता है।छठ गीत इतना कर्णप्रिय लगता है कि लगता है कि बार बार सुनते रहें। ये पारम्परिक गीत होते हैं, जो एक पीढ़ी से दुसरे पीढ़ी तक चलते आ रहा है।इसके रचयिता कौन हैं?नही मालूम है।इस पर्व की पवित्रता बनी रहे और लोगों में श्रद्धा बनी रहे। शारदा सिन्हा द्वारा गाई हुई छठ गीत को गुनगुना सकते हैं।

 पहिले पहिल हम कईनी,

छठी मईया व्रत तोहार ।

करिहा क्षमा छठी मईया,

भूल-चूक गलती हमार ।

सब के बलकवा के दिहा,

छठी मईया ममता-दुलार ।

पिया के सनईहा बनईहा,

मईया दिहा सुख-सार ।


नारियल-केरवा घोउदवा,

साजल नदिया किनार ।

सुनिहा अरज छठी मईया,

बढ़े कुल-परिवार ।


घाट सजेवली मनोहर,

मईया तोरा भगती अपार ।

लिहिएं अरग हे मईया,

दिहीं आशीष हजार ।


पहिले पहिल हम कईनी,

छठी मईया व्रत तोहर ।

करिहा क्षमा छठी मईया,

भूल-चूक गलती हमार ।

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