आज पूज्य पिता जी की 28 वीं पुण्यतिथि पर कोटि कोटि नमन!😢- प्रसिद्ध यादव।

   





आपकी संवेदनशीलता, दूसरों की मदद ,शिक्षा के महत्व के लोग कायल थे।आप इतने अनुशासन प्रिय थे कि गांव के बच्चे भी आपको देखकर अनुशासित रहते थे। समय की पाबंदी शायद कोई आपसे सीखे ।एक सच्चे कर्मयोगी ,धर्मपरायण वाले विराट व्यक्तित्व के धनी थे। सबसे बड़ी बात थी कि आप निर्भीकता से सही गलत मुँह पर बोलने वाले थे।  आपके  रात में किसी धार्मिक प्रसंग की कहानियों सुनकर मुझे नींद आती और सुबह सुबह मधुर आवाज की भजन से नींद टूटतीं थी । आप सम्पूर्ण रामचरित मानस व भागवत गीता का पाठ बड़ी ही भावपूर्ण, अर्थपूर्ण ,लय में सुनाते थे  जो अब अन्यत्र दुर्लभ है। यही कारण था कि लोग आपको " रामजी " कहते थे।आप जैसा तो मैं नहीं हो सकता, लेकिन आपके पितृ छाया का प्रभाव मुझपर होने के कारण मैं भी आपके रास्ते पर चलने का प्रयास करता हूँ। आप मेरे आदर्श,इष्ट देव सब कुछ हैं। आपके जाने के साथ ही  आपके कुछ जीवन के रहस्यों को मैं नहीं सुलझा पाया और वो आज भी एक पहेली बनी हुई है ।आपके बिना मैं आज भी कितना असहाय महसूस करता हूँ, वो नहीं बता सकता हूँ। जीवन में आपने जहाँ सबसे अधिक ट्रस्ट किये, नेकी किये ,वही से आज सबसे ज्यादा  हमलोग परेशान किये  जा रहे  हैं ।  आपने चतुर ,धूर्त दुनिया को समझने में भूल कर दिया था।  शायद यही कारण है कि लोग अब दूसरों को भला करना छोड़ दिया है। वैसे लोगों को सिर्फ विनम्रता से कहता हूँ कि आप जैसे एक फ़ीसदी बन कर दिखा दे। आपके पुण्य प्रताप से आज हम लोग सर उठाकर रह रहे हैं।

25 दिसम्बर 1995 को दानापुर रेलवे अस्पताल में दिन के करीब 12 बजे पिता जी हम 6 भाइयों एवम एक बहन को सदा के लिए छोड़ गये थे।  आपके बिना जो जीवन में रिक्त हुआ, सुनापन हुआ, विरक्ति हुई, मन वैरागी हुआ, कभी मैं दिल से खुश नही हुआ, जीवन में दुखों  पहाड़ टूट गया, काली घटाएं छा गई। आपकी यादें आंखों में आँसू ला देते हैं। आपके बिना कोई सर पर हाथ रखने वाले नही है।इस विषम परिस्थिति में हम और माँ साथ थे। कड़ाके की ठंड  में जेयष्ठ पुत्र होने के नाते  मैं काफी तनाव और मर्माहत था। आंखों के सामने अंधेरा , लगा अब कुछ शेष नही बचा। लेकिन यह शाश्वत है, सत्य है, इसे कौन टाल सकता है। आप दैहिक स्वरूप में हमारे पास नहीं हैं, लेकिन आपकी सीख, ईमानदारी, स्पष्टवादिता, अनमोल ज्ञान, गीत संगीत से बेहद लगाव, आपके फैसले के  हमलोग कायल हैं।आपके मेरे प्रति लगाव , प्रेम मेरा सौभाग्य था। यही कारण है कि मेरा बचपन किसी राजकुमार से कम न था, कभी अभावग्रस्त नही रहे और आपके शिक्षा के प्रति लगाव ही मुझे उच्च शिक्षा ग्रहण करवाया। आप कभी अन्याय , जुर्म को बर्दाश्त नहीं किया, तो कभी किसी के दिल नही दुखाया, आपके दरवाजे से जरूरतमंद कभी खाली नही लौटा था। आपकी कृत्य आज भी दिखाई पड़ती है। आपकी अनुशासन प्रियता की हम रचना हैं। हम कभी जाने भी नहीं कि पिता पुत्र को कभी पीटते भी हैं। आपसे उऋण होना असंभव है, फिर भी आप मेरे हृदय में रहते हैं, मेरी अगाध श्रद्धा है।पूरे रेलवे में सेवा के दरम्यान एक दिन का भी बीमारी के लिए छुट्टी नही लेना और एबसेंट नही होना, समय से पहले डियूटी पर जाना और सबसे बाद में आना एक अद्भुत, अविश्वसनीय, अकल्पनीय था, लेकिन ऐसा ही थे आप। सेवानिवृत्त प्रमाणपत्र में यह दर्शाया गया था और अधिकारियों ने आपकी प्रशंशा में ये बात कही थी। आप तीन भाइयों में ज्येष्ठ थे, परिवार के सभी सदस्य आपकी इज्ज़त करते थे और आप सभी पर अपना प्यार लुटाते थे। आप जैसे होना दुर्लभ है। आपको कोटि कोटि नमन!

आपका प्रसिद्ध एवम समस्त परिजन, सम्बन्धी, मित्र।

Comments

Popular posts from this blog

डीडीयू रेल मंडल में प्रमोशन में भ्रष्टाचार में संलिप्त दो अधिकारी सहित 17 लोको पायलट गिरफ्तार !

जमालुद्दीन चक के पूर्व मुखिया उदय शंकर यादव नहीं रहे !

यूपीएससी में डायरेक्ट लेटरल एंट्री से बहाली !आरक्षण खत्म ! अब कौन धर्म खतरे में है !