काश!गर्व से कहो - हम सब एक समान हैं , कहते !प्रसिद्ध यादव।
कितनी गहरी खाई ,चौड़ा पाट है अमीरी गरीबी की ? लोग कहते हैं ,गर्व से कहो हम हिन्दू हैं ? अगर इससे पहले गर्व से कहो हम एक समान है तो क्या हर्ज है? भारत में आर्थिक असमानता बहुत ज्यादा है. लेकिन अब एक अध्ययन से यह बात सामने आई है कि आर्थिक असमानता में जातीय कारक भी हावी है. इस अध्ययन के अनुसार, देश की कुल संपदा का करीब 41 फीसदी हिस्सा उन हिंदू सवर्णों के पास है जिनकी जनसंख्या में हिस्सेदारी 25 फीसदी भी नहीं है.
'वेल्थ ओनरशिप ऐंड इनइक्वलिटी इन इंडिया: अ सोशियो-रिलीजियस एनालिसिस' शीर्षक वाले इस स्टडी के मुताबिक अनुसूचित जाति के लोगों के मुकाबले हिंदुओं की कथति उच्च जातियों यानी सवर्णों के पास चार गुना ज्यादा संपत्ति है. स्टडी के मुताबिक देश में हिंदू उच्च जातियों की जनसंख्या में हिस्सेदारी करीब 22.28 फीसदी ही है, लेकिन कुल संपदा में उनका हिस्सा इसके करीब दोगुना 41 फीसदी तक है. हिंदू अन्य पिछड़ा वर्ग (HOBC) की आबादी करीब 35.66 फीसदी है और उनकी देश के कुल संपदा में हिस्सेदारी 31 फीसदी तक है. इसी तरह एससी-एसटी की कुल जनसंख्या में हिस्सेदारी करीब 27 फीसदी है, लेकिन देश की संपदा में उनकी हिस्सेदारी महज 11.3 फीसदी है.
करीब दो साल तक चला यह अध्ययन साल 2015 से 2017 के बीच सावित्रीबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी, जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ दलित स्टडीज के द्वारा संचालित की गई. केवल हिन्दू धर्म के मायाजाल फैलाकर वास्तविक स्थिति को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
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