शब्दाक्षर राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था पटना का प्रथम बैठक खगौल में हुई। -प्रसिद्ध यादव।

 


 






आर्यभट्ट की नगरी साहित्यिक समागम से हुआ धन्य।

सबसे पहले सरस्वती की तस्वीर पर माल्यार्पण कर मंत्रों के साथ ज्योति जलाई गई।

अतिथियों को अंगवस्त्र व पुस्तक भेंट कर स्वागत किया गया।

 खगौल  गाड़ीखाना  शक्तिकुंज में शब्दाक्षर का अध्यक्षता  वरिष्ठ साहित्यकार उपेंद्र नारायण पांडेय और संचालन पूर्व राज्यभाषा अधिकारी व पटना जिला शब्दाक्षर के अध्यक्ष राजमणि मिश्रा ने की ।इस अवसर पर उपस्थित सदस्यों रचनाकारों ने साहित्यिक महत्ता को बताया।शब्दाक्षर के प्रदेश अध्यक्ष मनोज कुमार मिश्रा ने बताया कि शब्दाक्षर भारत के 25 राज्यों में साहित्य की अलख जगा रही है और लोगों को जोड़ने का काम कर रही है।शुभम सिन्हा ने ग़ज़ल रहा न शक्ल वो पहले की तरह, आईना मत देखो।नागेंद्र पाठक ने कहा कि शब्द ब्रह्म है।अरविंद श्रीवास्तव ने आम आदमी हूँ, असमय मरूंगा  । औकात से ज्यादा कभी उड़ना नहीं आता ।वक़्त के साथ क्या सफर करते ,कर गया छलनी जिगर ग़ज़ल सुनाया।बदल रहा है आप देखो  जमाना ,छाप तिलक ,चोटियां भी लम्बी है ।देखा पंडित को यजमान को मूर्ख बनाते ,पोथी पतरा कभी देखा नहीं ,जीवन का धंधा है लोगों को मूर्ख बनाना।राजमणि मिश्रा - आज आदमी को ठठाकर हंसना मना है।सांस्कृतिक, राजन8 अपराध है।क्या जरूरत है ठठाकर हंसने की ।सीताराम नहीं,जय श्री राम कहना सीखो।  शहनशाह आलम ने भी ग़ज़ल से सभी के मन मोह लिया।ऋचा झा ने मगही भाषा को बढ़ावा देने के लिए अपने संघर्ष की संस्मरण सुनाई। रामकुमार उपाध्यक्ष ने देवी गीत  सुनाए ।इस अवसर पर संस्था के जिला सचिव विनोद शंकर मिश्रा, संगठन मंत्री प्रसिद्ध कुमार ,प्रचार मंत्री डॉ वीर विजय सिंह ने भी साहित्यिक रचनाएं सुनाएं।इस कार्यक्रम में औरंगाबाद से आये धनंजय जयपुरी, उपेंद्र नाथ पांडेय, अनुपम बेचैन ,नागेंद्र कुमार केशरी ,कुमार शानू ,शहनशाह आलम , ओमप्रकाश सिंह ,आर के सिंह ,मुकेश कुमार सिंह, सुनील कुमार, मीना सिंह,गायत्री मिश्र ,डॉ वीर विजय कुमार सिंह, आकाशवाणी के पूर्व उद्घोषक ललन पांडेय ,गया से हिमांशु शेखर आदि साहित्यकारों ने भी अपनी रचनायें सुनाए।

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