जवानी बरकरार रखने के लाखों जुगाड़ बेअसर।- प्रसिद्ध यादव।
काले घने बाल !जवानी की पहचान ! टकला लोग बाल रोपाई करते हैं या फिर टोपी पहने घूमते हैं।ऐसे बुढापे में जवान दिखना कोई बुरी बात नहीं है। बढ़े हुए पेट को सटकने के लिए डाइटिंग ,फास्टिंग करते हैं।चेहरे पर झुर्रियां न हो इसके लिए अनेक प्रकार के मसाज,जड़ी बूटियों को एक्सपेरिमेंट करते रहते हैं।लेकिन जवानी रुकने का नाम नहीं लेती है। देह,कमर,ठेहुना में दर्द,आंखों पर चश्मा लेकिन मन गुलाबी ।बुढापा की पहचान बता ही देती है।बुढापा का मतलब मौत से एक कदम पीछे।पहले इस अवस्था में लोग वन्यप्रस्थ जीवन जीते थे और अध्यात्म में चले जाते हैं लेकिन अब कतरीसराय की दवाइयां ढूंढते हैं।देश में कहीं चले जाएं रेलवे लाईन के किनारे दीवार पर कतरीसराय के जवानी बरकरार रहने की नुक़्शे मिल जाएंगे। वो सब बातें इस विज्ञापन में मिल जाएंगे जो जवानी के लिए जरूरी है।ये कतरीसराय बिहार के नालंदा जिला में है।पूरा गांव के लोग बैध है।दिन भर यहां से दवाइयां पार्सल होती है।यहां की पोस्ट ऑफिस की आमदनी भारत के सबसे अधिक होती है।थाना और पोस्ट ऑफिस में आने के लिए जुगाड़ लगाना पड़ता है।लाखों की कमाई बैठे बैठे होती है। पत्र - पत्रिकाओं में यहां से विज्ञापन करोड़ो रूपये की होती है।ये सब यौन शक्ति बढ़ाने के लिए लोगों की दिलचस्पी के कारण है। कुछ राजनेताओं के बारे में कहा जाता है कि नेताजी जवानी बरकरार रखने के लिए 80 हजार रुपये किलो वाला मशरूम विदेश से मंगा कर खाते हैं, फिर भी जवानी नहीं रुकी।घने ,काले बाल रखने के लिए हर महीने तरह तरह के लिक्विड का प्रयोग लोग करते हैं। भासमौल तेल,लाल मेहंदी,काली मेंहदी, गोदरेज, गार्नियर आदि ,लेकिन जवानी थम नहीं रही है और इसी चक्कर में बुढ़ापे वाले काम नहीं कर पाते हैं।बीयूटी पार्लर से सैलून तक चांदी काट रहे हैं।जवान बने रहने के हिट फिट स्लोगन लिखे रहते हैं।दवाखाने वाले भी यौन शक्ति बढ़ाने के नाम पर महंगी दवाइयां बेच रहे हैं।पूरी तरह भोग विलासिता ही जीवन का नाम नहीं है। बुढापे में अध्यात्म की ओर मन को लगाना चाहिए।लोभ लालच से दूर वैराग्य जीवन जीने का आदि होना चाहिए।
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