नशाबंदी और पुलिस में आंखमिचौली !
बिहार में नशाबंदी का फरमान क्या जारी हुआ,पुलिस की भाग्य चमक गई। पुलिस की नजरें तलाश करते रहती है नशेड़ियों की। एक पियक्कड़ से 10 -12 हजार रुपये का शीघ्र लक्ष्मी का योग्य बन जाता है। एक राउंड में लाखों रुपये पॉकेट में आ जाती है।अब इसकी कमाई थोड़ी रिस्की हो गई है।कहीं कहीं शराबी पुलिस पर टूट जाते हैं, नतीजा घायल हो रहे हैं, जान की भी खतरा बढ़ गया है।अवैध कमाई में हमेशा जान जोखिम में रहता है। अब सूखा नशा गांव से लेकर शहर तक पहुंच गया है।हर गांव में 7-8 लोग पगला रहा है। ऊपर से चोरी छिनतई भी बढ़ गई है। इस नशे की सप्लाई में भी खूब कमाई है।गांजा,भांग,चरस ,डीएस,बीएस ,ब्रॉउन सुगर आदि नामों से लोग परिचित हो रहे हैं। ऐसे नशेड़ियों से बुद्धिजीवी यही सोच कर संतोष करते हैं कि जल्दी ऊपर जाए कि तैयारी कर रहा है। जैसे 10 वीं सदी मोहम्मद गजनी भारत आकर 17 बार मंदिरों को लूटा और यहाँ के क्षत्रिय कहे जाने वाले ऊपर वाले के भरोसे दुबक गए थे। ये कोई नहीं बात नही है।इससे डरने की जरूरत नहीं है और पूरे मनोयोग से धन संग्रह करने में ही बुद्धिमानी है।अब पुलिस दरुखाना में न जाकर सड़क पर ही वसूली करते हैं।यहाँ रिस्क न के बराबर है।अब अकेले नहीं तीन चार गाड़ियों में रहते हैं।ऐसे भी पुलिस को सम्मान करना चाहिए।ये हमारे प्रहरी हैं, थोड़ा बहुत नजराना को नजरअंदाज करना चाहिए। सभी लोग रात में सोए रहते हैं और ये रातभर गश्ती करते रहते हैं।हार्ड वर्क है, बुद्धिजीवियों को समझना चाहिए।पुलिस है तो हम हैं।इनके भी परिवार है, उसकी जिम्मेदारी है तो जिम्मेदारी निभाने में बहुत कुछ करना पड़ता है।
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