22 जनवरी 2024 को पांच सौ वर्षों के संघर्ष का सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से हुआ स्वप्न साकार !- प्रसिद्ध यादव।!
आज अयोध्या में दोपहर 12.29 मिनट पर 84 सेकेंड के शुभ मुहूर्त में श्री राम के 5 वर्ष की आयु के समतुल्य प्रतिमा के मंत्रों द्वारा प्राण प्रतिष्ठा का विग्रह हुआ ।मैसूर के मूर्ति कलाकार अरुण योगीराज छह महीने की अवधि में इस मूर्ति को तैयार किया है। आसन सहित आठ फीट की ऊंचाई पर खड़ी यह मूर्ति साढ़े तीन फीट चौड़ी है, जिसमें इसके चारों ओर अलंकृत 'प्रभावली' भी शामिल है। प्रतिमा के जटिल विवरण में भगवान राम को धनुष और बाण पकड़े हुए दिखाया गया है, जो उनके बचपन के दिव्य व्यक्तित्व का प्रतीक है।
अयोध्या में श्री राम की प्रतिमा स्थापित की संघर्ष की गाथा करीब 5 सौ वर्षों की है जो धैर्य की एक पराकाष्ठा है। इस संघर्ष में हजारों बलिदान दिए । मुगल साम्राज्य ,ब्रितानिया सरकार से लेकर आजाद भारत तक श्री राम मंदिर के लिए संघर्ष होते रहे। 1992 में 6 दिसम्बर को विवादित ढांचे को कार सेवकों द्वारा जमींदोज कर दिया गया। हजारों - हजार राम भक्त अपने जान की परवाह किए इस में लहूलुहान हुए तो सैंकड़ों बलिदान हुए। आखिरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले से अयोध्या में श्री राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ हुआ। इस आंदोलन में न जाने कितने साधु संतों ने अयोध्या में रहकर जप तप करते परमधाम सिधार गये। श्री राम सभी के रोम रोम में बसे हैं। श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है। सवाल है कि श्री राम की मर्यादा क्या है? ये जानना जरूरी है तभी हम रामराज्य की कल्पना कर सकते हैं। श्री राम बाल्यकाल में ही शिक्षा ग्रहण करने के लिए गुरु वशिष्ठ कुल गुरु थे विश्वामित्र के साथ गुरुकुल आश्रम बक्सर में आ गए थे। श्री राम का चरित्र न्यायप्रिय था। वे मानव तो मानव पशु पक्षियों के साथ भी मित्रवत व्यवहार करते थे। जहाँ सदियों से छुआछूत, ऊंचनीच की भेदभाव से दुनिया ज़हर की घूंट पी रहा है, वही श्री राम कोलभील के साथ रहे,निषाद राज , वानर सुग्रीव इनके मित्र हुए । शबरी माता की जूठी बैर खाकर प्रेम का संदेश दिए तो गिद्धराज जटायु को अपने पिता की तरह अंतिम संस्कार किये और आजीवन उनके ऋणी रहने की बात की। श्री राम सभी के हैं ।जिन्हें धर्म,जाति, भाषा ,क्षेत्रों में नहीं बांटा जा सकता है।संत कबीर के अनुसार ये घट - घट के वासी हैं। श्री राम नाम संस्कार का, पराक्रम का,न्याय का, मित्रता का, भातृत्व का ,शालीनता का ,वैभव का ,दुख -सुख के साथ का ,सभी जीवों पर दया का , मातृ-पितृ भक्ति का ,भरोसे का,मर्यादा का ,नैतिकता का, संबल का ,तारणहार का ,जन्म से लेकर मरण तक के साथ का नाम है। श्री राम अनंन्त,अपरिमित, असीम ,सगुण, निर्गुण ,आकर,निराकार ,जड़ ,चेतन ,चराचर जगत में विद्यमान ,जल ,नभ, वायु में विद्यमान हैं । खोजी हों तो मिल जाएं पल भर की तालाश में । श्री राम के बारे में गोस्वामी तुलसीदास ने बताया है कि ' सियाराम भये जग जानी ,करहुं प्रणाम युगल युग पाणी '। सभी जीवों में सियाराम की छवि देखनी चाहिए। श्री राम के बारे में लिखने में अब तक कोई सामर्थ्य नही हुआ है। यथा - सात समद की मसी करो ,लेखनी सब बनराई । धरती सब कागद करो, हरिगुण लिखा न जाई।
इस ऐतिहासिक पल को सभी को अपने जीवन में संयोजने की चाहत है।
शाम में नगरों ,गांवों में द्वीप जले ,मंदिरों को सजाया संवारा गया ,भजन कीर्तन गये गये । श्री राम के प्रति अटूट श्रद्धा देखी गई । युवक हनुमान जी के झंडा गाड़ियों में लगाकर घूमे ,घरों में भी भगवा ध्वज फहराया गया।
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