बिहार में 3 टर्म में 9वीं बार सीएम का शपथ ! हठधर्मिता व व्यक्तिवाद का नमूना!- प्रसिद्ध यादव।

 


राजनीति में चरम आनंद! कुर्सी से सम्मोहन आज देश दुनिया देखा।

देश दुनिया में कुर्सी से इतना बेतहासा प्यार कहीं देखने को न मिला है न मिलेगा। जनमत की एक गरिमा है लेकिन इस जनमत  को नीतीश कुमार पॉकेट में लेकर घूमते फिर रहे हैं, इससे चरित्र हनन ही होगा। इतना बड़ा क्षणभंगुर कोई नेता नही हुआ है।   इस कुर्सी मोह से  बिहार की जनता बेवस ,लाचार, मायूस है।  अगर भाजपा के साथ सरकार बनाने का जनादेश मिला था तो यह नॉटंकी क्यों?  अगर नीतीश यह समझते हैं कि बिहारियों के वे चहेता हैं तो यह भ्रम है। जनता किसी की बंधुआ मजदूर नहीं है और वे समय  - समय पर तख्ता पलट करते रहती है।इस राज्य में बहुजनों को मानसिक रूप से आजाद किये  हैं तो वो लालू यादव ही है और यहाँ के बहुजन इसे कभी भूला नहीं सकते हैं । राजनीति में नैतिकता ,सिद्धांत ,राजधर्म की बात अब बेमानी हो गई है। परिवारवाद पर आरोप लगाते वाले व्यक्तिवाद से ग्रसित हो गए हैं। चेहरा चमकाने की सनक आदमी को कितना पतित कर देता है, वो लोग समझते हैं। सवाल है कि क्या भाजपा के रजामंदी से ये सीएम बने हैं, नहीं हठधर्मिता से।हठधर्मिता का इलायाज तो होता ही है। 

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