ईडी के डर से भाजपा में शामिल होने वाले पापमुक्त !
भाजपा विपक्ष को भयादोहन कर रही है भाजपा ! जदयू के कुछ नेताओं के यहां पड़ी छापा तो पाप धोने चल गई भाजपा के शरण में। अगर किसी ने ‘बड़ा पाप या अपराध’ किया है और भाजपा में शामिल हो जाता है, तो केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) या आयकर विभाग के अधिकारी कभी उसे छूने की हिम्मत नहीं करेंगे। कौन भ्रष्ट है? भ्रष्ट वे नहीं हैं, जिन्हें ईडी ने पकड़ा है और सलाखों के पीछे भेजा है। भ्रष्ट वे हैं, जो ईडी के डर से भाजपा में शामिल हो गए। जिन्हें ईडी ने पकड़ा है, लेकिन भाजपा में शामिल नहीं हुए, वे कट्टर ईमानदार हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि आज नहीं तो कल वे बाहर आ जाएंगे। लेकिन जो बेइमानी में संलिप्त हैं, वे जानते हैं कि अगर उन्हें गिरफ्तार किया गया तो पूरी जिंदगी जेल में बितानी होगी, इसलिए तुरंत भाजपा में शामिल हो जाते हैं। इसलिए समझिए कि कौन भ्रष्ट है और कौन ईमानदार।
2019 में मोदी राज में पीएमएलए में बदलाव कर ईडी को ये शक्ति दी गई कि वो लोगों के आवास पर छापेमारी, सर्च और गिरफ़्तारी कर सकती है.
इससे पहले किसी अन्य एजेंसी की ओर से दर्ज की गई एफ़आईआर और चार्ज़शीट में पीएमएलए की धाराएँ लगने पर ही ईडी जांच करती थी, लेकिन अब ईडी ख़ुद ही एफ़आईआर दर्ज करके गिरफ़्तारी कर सकती है. 2014 से 2022 तक ईडी के निशाने पर रहे क़रीब 95 फ़ीसदी यानी 115 नेता विपक्ष से थे. 2004-14 में 26 नेताओं से ईडी ने पूछताछ की थी. इनमें क़रीब 54 फ़ीसदी यानी 14 नेता विपक्ष से थे. हालांकि ये आंकड़े 2022 तक के ही हैं. इसके बाद 2023 में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए थे और इस दौरान विपक्षी दलों ने अलग-अलग राज्यों पर हुई ईडी, सीबीआई की छापेमारी को राजनीति से प्रेरित बताया था.अभी बिहार में लालू परिवार व झारखंड में हेमंत सोरेन से ईडी लम्बी पूछताछ कर रही है।
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