कर्पूरी तेरे अरमानों को दिल्ली तक पहुंचाएंगे ! कर्पूरी जी भारत रत्न के योग्य थे - लालू यादव

   



कांशी राम व लोहिया को भी भारत रत्न मिले ! - तेजस्वी यादव।आज कर्पूरी ठाकुर की जन्मशताब्दी राजद द्वारा श्रीकृष्ण मैमोरियल हॉल में मनाई गई , जदयू वेटनरी कॉलेज में तो भाजपा मिलर स्कूल में । लालू यादव ने कर्पूरी जी के साथ बिताए गये पल को सुनाते -सुनाते भावुक हो गए।  कर्पूरी जी कभी किसी के पिछलगुआ नहीं बने ।अब्दुलबारी सिद्दिकी ने कहा कि कर्पूरी जी को भारत रत्न मिलना समाजवादियों की जीत है।

अगर भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर अपमान भरे जीवन के मुकाबला नहीं किये होते ,पीड़ितों, गरीबों के दर्द को नहीं समझे होते ,उसके लिए काम नहीं किये होते तो आज भारत रत्न से नहीं नवाजे जाते । आज से 100 वर्ष पूर्व समस्तीपुर के पिंटझौरिया ग्राम में एक गरीब नाई परिवार में जन्म लिये थे।  शोषण,जुर्म,अत्याचार की समझ पढ़ने के बाद आई । गांव में भी ये संभ्रांतों से अपमानित हुए थे। कर्पूरी जी इस जिल्लत भरी जिंदगी से खुद व बहुजनों के छुटकारा पाने के लिए भारतीय संविधान पर ,लोकतंत्र पर भरोसा किये और इसके बाद राजनीति में प्रवेश किये ।जब विधानसभा में विपक्ष के नेता होते थे तब भी इनके साथ सत्ता पक्ष बदसलूकी की जाती थी लेकिन वे हार नहीं मानते थे और बहुजनों को गोलबंद कर बिहार सत्ता शीर्ष पर आसीन हुए थे । बिहार में बहुजनों के लिए अनेक कल्याणकारी कार्य किये थे ,जिसका लाभ बहुजनों को मिला । ईमानदारी, सादगी के प्रतिमूर्ति थे। मुख्यमंत्री बनने के बाद भी इनका घर फुस के ही रहा, पटना या अन्य जगहों पर कोई जमीन जायदाद नहीं खरीदे थे और फटे कपड़े पहने रहते थे ।पहली बार बिहार में आरक्षण लागू किये तो अभिजात्य वर्ग के लोग " ये आरक्षण कहाँ से आई ? करपुरिया के ... जैसे शब्दों से खुलेआम गाली देते थे।

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