सिर्फ समाजवाद का चोला बच गया है ! - प्रसिद्ध यादव।

   


बिरले अब समाजवादी होंगें ! अब इसके आर में पूंजीवाद ,परिवारवाद पोषित हो रहा है । जिस देश में हर 41 मिनट में 1 किसान आत्महत्या करते हैं, इससे बड़ा समाजवाद का मजाक और क्या हो सकता है ? केंद्र सरकार की चुनावी घोषणा पत्र में भूमि सुधार के लिए स्वामीनाथन आयोग लागू करने की वादा किया गया था लेकिन शायद ही अब किसी को याद  होगी।।अगड़ा-पिछड़ा ,दलित,महादलित ,अल्पसंख्यक चुनावी स्टंट है। राजनीति में कोई दल के नेता समाजवाद का भले ही कितनी ढोल पीट ले ,लेकिन समाजवादी चाल चरित्र नहीं देखने को मिलता है। इस अर्थयुग में हर कोई आरामदायक, विलासिता पूर्ण जीवन जीने का आदि हो गया है बचा है तो शेष समाजवाद का चोला। राजनीतिज्ञों में संवेदनहीनता भर गई है। चापलूसी, तेल मालिस इतना चरम पर हो गया है कि एक बुलाओ सौ हाजिर है। राजनीति में इतना अविश्वास बढ़ गया है कि बाप बेटे पर भरोसा नहीं रहा ,बाकी बात बेमानी है। मरते दम तक कुर्सी की लालसा समाजवाद के जनाजे का उदाहरण दूसरा और क्या हो सकता है ? राजनीति में अब स्पर्धा नहीं शत्रुता घर कर गई है। साथ  रहने वाले राजनेताओं के अंतिम संस्कार में भी जाने की फुर्सत नहीं होता है । युवा राजनीति में भटक रहे हैं ,कोई पूछने वाला नहीं है। नेताओं द्वारा नित्य ऐसे जन्मघुट्टी पिलाई जा रही है कि विष भी अमृत लग रहा है।  चुनावी वर्ष में कब क्या घोषणा हो जाता है, समझ नहीं आता है। जाति, धर्म को साधने के नया नया तरीका प्रयोग होता है। देश में कुछ ऐसे काम करना रह गया है जो राज्य,केंद्र सरकार के बहुमत में रहते हुए इच्छा शक्ति के कारण नहीं हो सका। भूमि सुधार के लिए स्वामीनाथन आयोग को लागू करने में किसी सरकार को क्या लाचारी है।  स्वामीनाथ आयोग की रिपोर्ट में भूमि सुधारों को बढ़ाने पर जोर दिया गया है. अतिरिक्त और बेकार जमीन को भूमिहीनों में बांटना, आदिवासी क्षेत्रों में पशु चराने का हक देना आदि है .

आयोग की सिफारिशों में किसान आत्महत्या की समस्या के समाधान, राज्य स्तरीय किसान कमीशन बनाने, सेहत सुविधाएं बढ़ाने और वित्त-बीमा की स्थिति पुख्ता बनाने पर भी विशेष जोर दिया गया है. यदि इसे लागू किया जाए तो किसानों की स्थिति में काफी सुधार की संभावना है. जमींदारी प्रथा उन्मूलन होने से देश में बहुत परिवर्तन हुआ था।ऐसे ही भूमि सुधार होने से हर किसी के पास अपना जमीन के टुकड़े होंगें। आज देश में करोड़ों लोग सिर्फ इसलिए घर विहीन हैं कि उनके पास खुद के पर्ची के जमीन नहीं है।प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत  आवास विहीन शहरी को दो लाख और ग्रामीण क्षेत्रों में डेढ़ लाख रुपये आवास के देने का प्रावधान है। अब आवास विहीन लोग क्या करें ? राज्य व केंद्र सरकार सचमुच समाजवादी सरकार है तो सबसे पहले स्वामीनाथन आयोग को लागू कर भूमि सुधार करे।

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