नक्सली हिंसा छोड़ देश की मुख्यधारा में लौटे !

       सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति नहीं हकारण हो रहे नक्सली हमले!


 हिंसा किसी समस्या का हल नहीं है । नक्सलियों को अपनी बात सरकार के समक्ष खुल कर रखनी चाहिए और सरकार को भी इसे प्राथमिकता से सुनना ,समझना चाहिए। लेकिन राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी है. सरकार चाहती ही नहीं है कि लोग हिंसा का रास्ता छोडें. एक प्रशासनिक आवश्यकता के तहत नीति बनाई गई है और बनाने के बाद इसे फाईलों में बंद कर रख दिया गया है. कुछ नक्सली आत्मसमर्पण करने की कोशिश भी करता है तो उसे सलाखों में बन्द कर दिया जाता है।देश  में जितना बाहरी हिंसा नहीं हो रहे हैं, उससे ज्यादा आंतरिक हिंसा से पुलिस व नागरिक हताहत हो रहे हैं।  दस नक्सल प्रभावित राज्य छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश हैं. इन राज्यों के राज्य सरकार व केन्द्र सरकार मिलकर नक्सलियों को हिंसा के राह छोड़ देश के मुख्यधारा में लौटने का प्रयास करना चाहिए। छत्तीसगढ़ में सुकमा-बीजापुर सीमा पर मंगलवार को हुई एक घटना में नक्सलियों के साथ गोलीबारी के दौरान तीन जवान शहीद हो गए और 14 जवान घायल हो गए हैं। 

यह झड़प एक नियमित तलाशी अभियान के दौरान हुई जिसमें क्षेत्र में कर्मियों के सामने लगातार सुरक्षा चुनौतियों पर जोर दिया गया। मुठभेड़ के बाद घायल जवानों को आवश्यक चिकित्सा सहायता दी जा रही है।

इससे पहले सुरक्षा बलों ने छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में दो इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) की खोज करके एक संभावित त्रासदी को सफलतापूर्वक विफल कर दिया। एक गुप्त सूचना पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने क्रमशः 5 किलोग्राम और 3 किलोग्राम वजन के विस्फोटक उपकरणों का पता लगाया और उन्हें निष्क्रिय कर दिया। नियमित गश्त गतिविधियों के दौरान सुरक्षाकर्मियों को निशाना बनाने के इरादे से आईईडी को रणनीतिक रूप से मिट्टी की पटरियों पर रखा गया था। बताया जाता है कि गश्त के दौरान क्षेत्र से गुजरने वाले सुरक्षाकर्मियों को निशाना बनाने के लिए मिट्टी की पटरियों पर विस्फोटक लगाए गए थे। बमों को बाद में बम निरोधक दस्ते द्वारा निष्क्रिय कर दिया गया। एक बड़ी त्रासदी टल गई है। हिंसक झड़प में मरने वाले साधारण लोग मुख्यतः गरीब ही होते हैं।चाहे वो पुलिस हों या आम आदमी। आखिर ये हिंसा का खेल कब तक? इस खेल को बन्द कर एक मजबूत राष्ट्र की निर्माण करें।


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