किसानों के लगानों पर भी 75 फ़ीसदी से अधिक सेस वसूल रही है मोदी सरकार !

 

          



  किसी भी  जमीन के प्लाट मे  से  मालगुजारी 50 रुपये लगता है तो उसमें 20 भू राजस्व और 29 रुपये सेस लग रहा है । स्वच्छता सेस,स्वास्थ्य सेस, कृषि सेस भी किसानों से लिया जा रहा है, जबकि यह सेस विशेष परिस्थितियों में कुछ समय के लिए विलासिता   व आरामदायक वस्तुओं पर लगता था । सेस यानी उपकर टैक्स के ऊपर लगाया जाने वाला एक विशेष कर होता है. आमतौर पर सेस विशिष्ट उद्देश्य के लिए लगाया जाता है और जब इस कर को लगाने का उद्देश्य पूरा हो जाता है, तो सरकार इसे वसूलना बंद कर देती है. इस कर की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसे जो भी सरकार लगाती है, उसे इस कर को किसी के साथ साझा नहीं करना पड़ता. उदाहरण के तौर पर यदि सरकार ने किसी विशिष्ट उद्देश्य के लिए सेस लगाया है, तो वह इसे अन्य राज्यों के साथ साझा नहीं करती है.      भारत में अंग्रेजी शासन के दौरान इसे किसी खास उद्देश्य के लिए वसूले जाने वाले टैक्स के लिए, इस्तेमाल होता था। जैसे कि सिंचाई कर ,शिक्षा कर  वगैरह। इसके बाद भी अलग-अलग समय पर, कई तरह के सेस लगाए जाते रहे हैं।
स्वच्छ भारत सेस: देश भर में, सड़कों, गलियों और अन्य बुनियादी संरचनाओं को साफ-सुथरा रखने के लिए इसका पैसा खर्च होना था। यह 0.5% की दर से लगता था।
कृषि कल्याण सेस: इसे 2015 में लागू किया गया था। इससे इकट्ठा हुई रकम को कृषि अर्थव्यवस्था के विकास को गति देने के लिए खर्च होना था। इसे 0.5% की दर से वसूला जाता था।
रोड एंड इंन्फ्रास्ट्रक्चर सेस: वर्ष 2016 में यह सेस लगाया गया था। वाहन उत्पादन करने वाली कंपनियों से, वाहनों के उत्पादन पर यह सेस वसूलाजाता था। अलग-अलग श्रेणियों के वाहन उत्पादन के हिसाब से यह 1%/2.5%/4% की दर से लगाया गया। फिलहाल इन्हें जीएसटी टैक्स में मिला दिया गया है। कुछ अन्य सेस जो अभी भी प्रचलन में हैं, उनके नाम हैं—
सरकार इस   वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के एक जुलाई 2017 से लागू होने के बाद आम लोगों के रोजमर्रा इस्तेमाल की चीजें भले ही सस्ती हो जाएं, लेकिन चार दर्जन उत्पादों पर उच्चतम दर से जीएसटी के साथ सेस भी लगता है। सबसे ज्यादा 290 फीसद सेस सिगरेट पर है । इसके अलावा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक अन्य तंबाकू उत्पादों पर भी सेस लगने से टैक्स का बोझ बना रहेगा। सेस से प्राप्त होने वाले राजस्व से राज्यों को जीएसटी से संभावित घाटे की भरपाई की जाएगी।
मोदी मैजिक यही है और कुछ नहीं।

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