पांडेय जी नाल बजाते ^ बजाते सो जाते हैं। - प्रसिद्ध यादव।

 


रसगुल्ला खाकर शुरुआत और रसगुल्ला से ही अंत।

पांडेय जी बड़ी दिल खुश मिजाज के आदमी हैं। इन्हें कई वर्षों से जनता ही नहीं अपने सूत्रधार के कार्यक्रम में नाल पर संगत करते देखा है।बहुत अच्छा नाल ,ढोलक बजाते हैं। ये परम् संतोषी भी हैं और मल्टीपर्पस भी । किसी श्राद्ध में पंडित जी की जरूरत पड़ी तो वहां भी हाजिर हो जाते हैं।एक श्राद्ध में बिल्कुल पंडित जी की भूमिका में मैं देखा तो मैं कन्फ्यूज हो गया कि वही है कि दूसरा कोई, तब  पंडित जी टोक  दिए तब हम समझ गए कि वही नाल वादक हैं। जब मैं पूछा कि - यहु सब में चलते हैं क्या ? बेचारे सहमते हुए बोले - जहां ब्राह्मण के पेट भर जाये ! यह वाकया सुनकर मधुबनी के कई पत्रकार पंडित जी की याद आ गई। पटना के एक होटल में एक मेरे मित्र पार्टी दिए उसमें तीन पंडित जी पत्रकार आये ।बड़े पत्रकार टीवी चैनल के हैं ,उन्होंने मटन खाने की फरमाइश की ,उस मटन विधि का नाम पहली बार सुना था।जितना अकेले एक पंडित जी मटन खाये उतना हम सात दिन में खाते। चंदन झा बोले कि- कथि के यादव जी है कि एके पीस खाकर हाथ बार दिए । खैर, मित्र बिल मांगे तब घर के लिए भी पत्नी की शौक पूरा करने के लिए बंधवा लिए । मित्र का वो लास्ट पार्टी हुआ।मधुबनी केमित्र प्रमोद झा मटन खाने के लिए बुलाया।हमलोग मधुबनी पटना से गये।क्या लाजवाब मटन था।वहाँ भी हमलोग पंडित जी से काफी पीछे रह गए। लगा कि आज किसी पंडित जी का धन खाया , खुश हो रहे थे।पंडित जी समझ रहे थे कि ई गोवार पंडित जी से तेज कैसे हो जाएगा।मित्र का उनसे व्यापार होता था।एक ही बार में मटन का 10 हजार का चूना लगा।  बीच में कहासुनी होने लगी तब तक हम पंडित जी के पान चाभ रहे थे। मटन का दाम काटकर पैसा दीजिए पंडित जी।मेरा इतना कहते ही बोले कि बात यह नहीं है।मैं बोला बात यही है और कुछ नहीं।वो10 हजार उधारी खाता में गया और डूब भी गया।

 अब नाल वादक पंडित जी कथा पढ़ें - कल  नाटक के कार्यक्रम में गुलशन पांडेय बहुत ही शानदार जीत गा रहे थे, मन मुग्ध हो गया।क्या आवाज़ की खनक ,लय ,तान, अलाप .. कई एलबम बनाये हैं, नाल पर संगत कर रहे थे वही पंडित जी।जब गुलशन पांडेय की गायकी हारमोनियम की रीड पर  सप्तम भाव में थी एकाएक नाल बजना बन्द हो गया। पंडित जी की नाल बजाते बजाते आंखें लग गई।जब गुलशन हरकाये तब नींद खुली और नाल बजने लगा। डांस के निदेशक प्रेम ने पंडित जी की चरित्र चित्रण कुछ इस तरह किये।  -  ये पंडित जी को नाल बजाने से पहले 5 रसगुल्ला खिलाना पड़ता है तब नाल पकड़ते हैं और प्रोग्राम खत्म होने पर भी 5 रसगुल्ला खिलाना पड़ता है। इनका इशारा खाने की इच्छा होने पर बरबस हाथ पेट को सहलाने लगता है। नाल बजाते बजाते बीच में सो जाते हैं।अब गीत गाने वाले समझे,जो न रसगुल्ला करवाये। मैं पंडित जी के इस आदत को बुरा नहीं मानता हूँ।इतना सरल स्वभाव के लोग मिलते कहाँ हैं?

Comments

Popular posts from this blog

डीडीयू रेल मंडल में प्रमोशन में भ्रष्टाचार में संलिप्त दो अधिकारी सहित 17 लोको पायलट गिरफ्तार !

जमालुद्दीन चक के पूर्व मुखिया उदय शंकर यादव नहीं रहे !

यूपीएससी में डायरेक्ट लेटरल एंट्री से बहाली !आरक्षण खत्म ! अब कौन धर्म खतरे में है !