पाठक ईश्वर तुल्य गुरुजी को भी सरेआम दीं गालियां !
नीतीश कुमार के एक बिता की गाली का उदाहरण लोगों ने सुना। जैसे गायक किसी शब्दों को तान में लम्बी अवधि तक गाते रहता है, उसी तरह गाली में प्रयुक्त शब्द लम्बी अवधि तक खींची जाती है जो एक बिता की गाली होती है।
गुड गवर्नेंस का नमूना इससे बड़ा क्या हो सकता है ? पाठक के नित्य नए तुगलकी फरमान से गुरुजन ऐसे ही माथा पकड़े हुए थे।अब बाकी कसर गालियां देकर पूरी कर दी। शिक्षकों को प्रशिक्षण में संस्कार,नैतिकता की पाठ पढ़ाई जाती है ताकि वो गुण बच्चों में दे सके ,लेकिन यहां पाठक ने गुरुजनों के ऐसा मनोबल तोड़ दिया कि बेचारे कुछ बोलने की स्थिति में नहीं है। किसी पर रौब जमाने के लिए, भयादोहन करने के लिए गाली देने से अच्छा कोई विकल्प नहीं है।जैसे अपराधी हिंसा से लोगों को भयभीत करता है वैसे ही अब अधिकारी अपने अधीनस्थ को। गाली गलौज करने की परम्परा अन्य विभागों में खूब थी,लेकिन शिक्षा विभाग में खुलेआम पहली बार गुड गवर्नेंस में देखने को मिला । पेट आदमी को जो न करवा दे, गालियां खाकर भी पेट भरते रहे तो ऊपर वाले को धन्यवाद। गालियां का समाजशास्त्र से गहरा संबंध है। गालियां कोई किसी को दे ,लेकिन अंग व चरित्र का वर्णन महिलाओं की ही होती है।चाहे महिलाएं ही क्यों न गाली दे। कुछ गालियां सिनेमा की तरह विजुअल इमेजिन होने लगता है। गालियां शादियों में दी जाए तो स्वागत है।मिथिला में आज भी लोग गीतों में श्री राम जी को गाली ही देते हैं। गाली किसी बुजुर्ग को दे दिया गया तो वो उसके मरने के समान है । गालियां साली दे दी तो अमृत वचन है।मन करता है कि इसकी पुनरावृत्ति होती रहे।गालियां अगर पत्नी दे दी तो गुस्सा सातवें आसमान पर।गालियां बहनोई दे दे तो मुस्कुरा कर रह जाते हैं। गालियां मित्रों में चलती है।गालियां भाभी दे दे तो लोग ग्रीन सिंग्नल समझते हैं। राजनेता खूब गाली देते हैं क्योंकि इतना गाली कोई सुनता भी नहीं है। गालियां देने का एकाधिकार ऐसे अनपढ़, जाहिलों को था,लेकिन धीरे धीरे यह मौलिक अधिकार विद्वान जन छीन रहे हैं जो जाहिलों के लिए संकट है। गालियां सिनेमा से लोग खूब सीखे । अब भोजपुरी गीतों से सीखने के लिए मिल रहा है। गालियां मीनिंग फूल व भाव पूर्ण दी जाती है जिसे दिया जाए उसे समझने में कोई परेशानी न हो । बिहार सरकार में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के खिलाफ मुजफ्फरपुर सीजेएम कोर्ट में मुकदमा दर्ज कराया गया है. अधिवक्ता विनोद कुमार ने उन पर शिक्षकों को अपमानित करने और गाली देने का आरोप लगाया है. कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के लिए 4 मार्च की तारीख तय की है. बिहार विधानसभा में केके पाठक को लेकर 2 दिन से हंगामा चल रहा है. गुरुवार को पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने भी इस मामले को उठाया.गालियां हवा में उड़ गए, लेकिन इलेक्ट्रॉनिक युग में जितनी बार चाहें सुन सकते हैं।यही प्रॉब्लम है।
Comments
Post a Comment