सेस लगाकर मोदी सरकार जनता की खून चूस ली।

     


 कैग ने किया खुलासा !पीएम मोदी ने कहा था कि मैं बनिया हूँ। मेरे खून में व्यापार है। कैग के रिपोर्ट से यह साबित हो गया कि मोदी सरकार ने कैसे सेस लगाकर जनता की खून चूस ली। वर्ष 2021-22 के आंकड़ों से पता चलता है कि कुल टैक्स संग्रह जहां 27 लाख 9 हजार, 315 करोड़ रुपये था, उसमें अकेले सेस से आम लोगों से 4,78,680 करोड़ रुपये की वसूली की गई थी, अर्थात कुल टैक्स कलेक्शन में अकेले 17.67% सेस वसूली से आया था।

लेकिन इसमें भी एक्साइज और जीएसटी पर जितने बड़े पैमाने पर सेस वसूला गया है, वह बताता है कि किस प्रकार लोकतंत्र में सजग नागरिकों और विपक्ष के अभाव में सरकार निरंकुश हो जाया करती हैं, और आजादी के लिए स्वतंत्रता सेनानियों के द्वारा बहाए गये खून को पूंजीवादी लोकतंत्र पूरी तरह से बेमानी बना देता है।

वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान मोदी सरकार ने एक्साइज टैक्स के मद में 3,90,808 करोड़ रुपये की वसूली की थी। लेकिन जानते हैं, इसमें सेस कितना था? पूरे 67.41% अर्थात 3.90 लाख करोड़ में से 2 लाख 63 हजार 432 करोड़ रुपये केंद्र सरकार ने सेस लगाकर ही वसूला है।

इसी प्रकार जीएसटी में भी कुल टैक्स वसूली 7,02,105 करोड़ रुपये थी, लेकिन सेस के खाते में यहां पर भी 1,04,769 करोड़ रुपये उपभोक्ताओं से वसूले गये।

सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि जब जीएसटी के भीतर एक्साइज, सर्विस टैक्स, वैट, एंट्री टैक्स और चुंगी जैसे विभिन्न टैक्स को समाहित किया गया था, तो उसके साथ पूर्व से लागू सेस जैसे कृषि कल्याण सेस, स्वच्छ भारत सेस, स्वच्छ उर्जा सेस ही नहीं बल्कि चाय, चीनी और जूट इत्यादि को भी इसमें समाहित कर दिया गया। इसका अर्थ है आज भी आप देश में कृषि, स्वच्छता, स्वच्छ ऊर्जा सहित विभिन्न चीजों के लिए उपकर दिए जा रहे हैं, और आपको इसका अहसास तक नहीं है और सरकार इसके लिए देश के नागरिकों के सहयोग के लिए आभार तक जताने से बच गई।

सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2017-18 से प्राथमिक एवं उच्चतर शिक्षा पर सेस के स्थान पर स्वास्थ्य एवं शिक्षा सेस लगाने की शुरुआत की गई। बाकी विभिन्न चीजों पर सेस बदस्तूर जारी रहा।


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