वरिष्ठ रंगकर्मी, अधिवक्ता नवाब आलम के बड़े भाई मो.अजीमुद्दीन साहेब(78 वर्ष) का इंतकाल 😢!,
धक से लगा , जब मैं प्रवेश करते कमरे में गया, जहां नवाब जी के बड़े भाई चौकी पर बैठकर कुछ न कुछ पढ़ते लिखते रहते थे।सबसे पहले इन्हीं से दुआ ,सलाम होता था। हालचाल, खैरियत पूछने के बाद मेरे कदम आगे बढ़ते थे।आज वो कमरा सुना था, मेरे पैर अचानक ठहर गया था। अंदर जाकर देखा लग रहा था मानो निद्रा में सोए हैं लेकिन वो तो चिर निद्रा में थे। वो वहाँ चले गए थे, जहां से कोई लौट कर नहीं आता है। नवाब भाई मेरे बगल में बैठे खुद को ढांढस बंधाया दिख रहे थे लेकिन मैं समझ रहा था कि इनके सर से बड़े भाई का हाथ उठ गया था। रात के 12 बजकर 58 मिनट हुआ था कि फुलवारी के पत्रकार अजित भाई का फोन आया।मै गहरे नींद में था, फोन की घण्टी सुनकर कुछ अनहोनी लगा।इतने में यह मनहूस खबर मुझे मिली।इतनी रात को अजित भाई फुलवारी से जमालुद्दीन चक नवाब जी के घर आ गए थे और वहीं से बात किये और नवाब जी से बात करवाया। मुसीबत में जो साथ खड़े हो जाता है वही सच्चा हितैषी होता है।नवाब जी की यही इंसानियत, मुहब्बत, भाईचारे की कमाई थी।इनकी लोकप्रियता फुलवारी प्रखंड के गाँव गाँव तक थी।
नवाब जी से बहुत पहले से इनके बड़े भाई जनाब मो.अजीमुद्दीन साहेब(78 वर्ष) से मेरी पहचान थी ।उस वक़्त वे फुलवारी में सक्रिय थे और मैं कॉलेज में पढ़ता था। कई मौके पर जब फुलवारी प्रखंड मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन करते थे वो सक्रिय रहते थे, वो समय था 90 का दशक। वे अपने ननिहाल भुसौला दानापुर में रहते थे और बोर्ड वक्क्फ की जमीन बचाने के लिए पूरी जिंदगी मुकदमा लड़ते रह गए और अब नवाब जी लड़ रहे हैं। वे एक उर्दू में एक पुस्तक भी लिखे हैं। नवाब जी के एक रंगकर्मी, अधिवक्ता बनाने में इनकी अहम भूमिका रही ।वे निहायत ईमानदार व्यक्ति थे,जिसका असर नवाब जी पर पड़ा।वे सामाजिक सरोकार से काफी लगाव रखते थे। दूसरों को पीड़ा को अपनी पीड़ा समझते हुए एक फकर, फकीर,सूफी संत की तरह अविवाहित रहे और रमजान के पाक महीने व होली के महान त्योहार के दिन जन्नत में चले गए।शायद यह नसीब उन्हें गंगा जमुना तहज़ीब व आपसी भाई चारे को जीने के लिए मिला। अचानक,बिना किसी से सेवा करवाये चुपचाप जन्नत को रुखसत कर गए। बिरले ऐसे लोग होते हैं लेकिन जो औरों के लिए जीते थे।न खुद की कोई ख्वाहिश ,न कोई अरमान !
आज दिनांक 26 को शाम 4 बजे जमालुद्दीन चक में उनका सुपुर्द खाक किया जाएगा।
अल्लाह उनके गुनाहों को माफ़ कर,जनत्त्तुल फिरदौस में जगह अता फरमाएँ।
आमीन।
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