सुप्रीम कोर्ट की पड़ी चाबुक ,एसबीआई दौड़ने लगी सरपट !
सत्ता की हनक - सनक देशवासियों ने देखा । कैसे चुनावी चंदा देने वाले के नाम बताने में एसबीआई बहानेवाजी कर रही थी? आखिर किसके इशारे पर 1 अरब 40 करोड़ जनता से अधिक सरकार की परवाह कर रही थी। इलेक्टोरल बॉन्ड के मामले में ये लोगों को लाइव देखने को मिला. देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई की ना-नुकुर के बावजूद अब उसने इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ा सारा डेटा चुनाव आयोग को सौंप दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए एसबीआई को इसके लिए 12 मार्च तक का समय दिया था और अब चुनाव आयोग को ये सारा डेटा अपनी वेबसाइट पर 15 मार्च शाम 5 बजे तक लगाना है. मोटी रकम लेने वाले राजनीतिक दल इस खुलासा से सदमें में है, क्योंकि इससे राजनीतिक दल के चाल चलन पता चल जायेगा और इस इसका दुष्प्रभाव चुनाव में पड़ना तय है।एसबीआई देश की जनता को निरीह समझ कर सरकार को ही सर्वेसर्वा समझने की भूल कर रही थी।कोई भी सरकार या संवैधानिक संस्था अन्तोगत्वा जनता के प्रति ही जवाबदेह होता है।
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