संवैधानिक संस्थाओं की एकपक्षीय कार्यवाई लोकतंत्र के लिए घातक !

       


कानून अपना काम करते रहे, इससे भला किसी को क्या एतराज हो सकता है लेकिन जब यह करवाई सत्ता से प्ररित हो तो उंगलियां उठना लाजिमी है।  चुनाव के वक्त कुछ संस्थायें सक्रिय है लेकिन ज्यादातर विपक्ष पर ।चाहे ईडी का मामला हो आयकर का । भाजपा के कई प्रदेशों में आलीशान पार्टी दफ्तर बने हुए हैं लेकिन कोई पूछने वाला नहीं है कि ये रुपये कहाँ से आये ? पक्ष हो या विपक्ष संस्थाओं की नजरिया बराबर होनी चाहिए। चुनाव से पूर्व कांग्रेस की बैंक खाता फ्रिज कर इसे आर्थिक रूप से पंगु बना दिया गया है। अगर यही स्थिति भाजपा के साथ होती तो क्या वो चुनाव लड़ लेती ?  भाजपा की 400 के पार का स्लोगन किसके भरोसे है? देश की जनता महंगाई, बेरोजगारी से तबाह है ।ऐसे में जनता का मूड भाजपा को उखाड़ फेंकने की है।भाजपा अंदर से डरी सहमी हुई है। इस बात की प्रमाणिकता है कि टिकट मिलने के बाद भी कैंडिडेट टिकट लौटा रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, लोकतंत्र के लिए निष्‍पक्ष चुनाव होना जरूरी है. निष्‍पक्ष चुनाव के लिए लेवल प्‍लेइंग फील्‍ड होना जरूरी है. पिछली दिनों सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इलेक्टोरल बॉन्ड की सच्चाई निकलकर सामने आई है. किसी भी लोकतंत्र के लिए निष्पक्ष चुनाव जरूरी होते हैं. सभी राजनीतिक दलों के लिए लेवल प्लेइंग फील्ड होनी चाहिए, समान अवसर होने चाहिए. ये जरूरी है, ये नहीं कि एक दल की मोनोपॉली हो. हम बराबरी से चुनाव ना लड़ पाएं, इसलिए खाते सीज कर दिए हैं. एक राजनीतिक दल को चुनाव लड़ने में बाधा उत्पन्न कर खतरनाक खेल खेला गया है. हर तरफ सिर्फ इनका ही विज्ञापन लगा है, उसमें भी मोनोपोली है. बीजेपी के हर जगह फाइव स्टार दफ्तर हैं. सरकार के चुनावी खर्चे का कोई हिसाब नहीं है. बीजेपी ने कभी खाते की डिटेल्स नहीं दी है. सिर्फ हमसे खाते की जानकारी चाहते हैं. चुनाव बराबरी पर होना चाहिए. बीजेपी कभी टैक्स नहीं देती है, लेकिन हमसे मांगती है. कांग्रेस के फ्रीज खातों को बहाल किया जाए. हमारा खाता फ्रीज करना अलोकतांत्रिक है. देश की जनता तय करेगी कि देश तानाशाही तरीके से चलेगी या लोकतांत्रिक तरीके से।

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