होली से पहले चेहरे से नक़ाब उतर जायेगा। ( कविता ) -प्रसिद्ध यादव।
सेव जैसे लाल चेहरा बदरंग हो जायेगा।
पाप का भरा घड़ा फूट जाएगा।
स्वर्ण लंका जल जाएगा,अहंकार टूट जाएगा।
होली से पहले चेहरे से नक़ाब उतर जायेगा।
रस्सी जलने के साथ, ऐंठन भी छूट जायेगा
देश के जेबकतरे का पता चल जायेगा।
रावण व धृतराष्ट्र जैसे परिवार को
नेसनाबूत करने वाले का पता चल जायेगा।
होली से पहले चेहरे से नक़ाब उतर जायेगा।
न रहा है सब दिन हनक किसी का
न चलती है चतुराई
जब लोग सजग हो जाये तब
लुटेरे धूर्त का पता चल जायेगा।
होली से पहले चेहरे से नक़ाब उतर जायेगा।
दूध की रखवाली करती रही बिल्ली
दूध क्या रहेगी सलामत ?
बर्तन भी फूटी ,तब भी नहीं नींद टूटी ।
अब पहचान लेना चेहरे
न आना कभी झाँसेराम की झांसे में
चिकनी -चुपड़ी बातों में
चेहरे के स्याह दिख जाएगा।
होली से पहले चेहरे से नक़ाब उतर जायेगा।
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