एसबीआई को चुनावी बॉन्ड बताने की लाचारी !
आज के आईटी युग में एक क्लिक करके पूरा डिटेल्स निकाला जा सकता है लेकिन चुनती बॉन्ड को बताने के लिए चुनाव बाद का समय मांगा है । चुनाव से पूर्व महादनियों के पोल खुलने से चुनाव पर असर पड़ना लाजमी था। देश की जनता आशा भरी नजरों से देख रही थी कि दानियों की हकीकत को जानें ।अब इस पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा मोहलत दे दिया गया तो अब कोई क्या करे? भारतीय स्टेट बैंक ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर चुनाव आयोग को चुनावी बॉन्ड के संबंध में जानकारी देने के लिए 30 जून 2024 तक समय बढ़ाने की मांग की है. अपनी याचिका में एसबीआई ने कहा कि इस कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश की तारीख 12 अप्रैल, 2019 से फैसले की तारीख 15.02.2024 तक दाता की जानकारी सार्वजनिक करने का निर्देश दिया है. उस समयावधि में, बाईस हजार दो सौ सत्रह (22,217) चुनावी बॉन्ड का उपयोग विभिन्न राजनीतिक दलों को दान देने के लिए किया गया था.
एसबीआई ने आगे कहा कि भुनाए गए बॉन्ड प्रत्येक चरण के अंत में अधिकृत ब्रांच द्वारा सीलबंद लिफाफे में मुंबई मुख्य ब्रांच में जमा किए गए थे. इस तथ्य के साथ कि दो अलग-अलग सूचना साइलो मौजूद हैं, इसका मतलब यह होगा कि कुल 44,434 सूचना सेटों को डिकोड, संकलित और तुलना करनी होगी. इसलिए यह सम्मानपूर्वक प्रस्तुत किया जाता है कि कोर्ट द्वारा अपने दिनांक 15.02.2024 के फैसले में तय की गई तीन सप्ताह की समय-सीमा पूरी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं होगी. इसलिए, एसबीआई को फैसले का अनुपालन करने में सक्षम बनाने के लिए इस माननीय न्यायालय द्वारा समय का विस्तार दिया जा सकता है. इस जटिल बैंकिंग प्रणाली को आम आदमी नहीं समझ सकते हैं लेकिन बैंक की लाचारी क्या है? यह रहस्यमय है।
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