हाय रे लिपिस्टिक ! लाचार,बेवस प्राणी हैं भुक्तभोगी!

 

   



लिपिस्टिक के चक्कर में पति पत्नी में तलाक की नॉबत आ जाये,अजीब सा लगता है। एक शख्स ब्रांडेड लिपिस्टिक लेकर नहीं आया तो मामला बिगड़ गया।दूसरा महंगा ले आया तो मामला बिगड़ा। बाल हट ,त्रिया हट औऱ साधु हट बड़ी मुश्किल खड़ी कर देती है।त्रिया हट से आदमी को दिन में तारे दिखने लगते हैं। इसके बावजूद स्त्री घर की लक्ष्मी होती है और हमें लक्ष्मी की तरह सम्मान करना चाहिए। दुख में सबसे ज्यादा साथ यही देती है, इसलिए इनकी भावनाओं को कद्र करना चाहिए। लिपिस्टिक की कहानी को जानें- यह   5  हज़ार साल पुरानी सभ्यता है ।सुमेरियन सभ्यता के लोगों को लिपस्टिक के शुरुआती उपयोगकर्ताओं का श्रेय दिया जा सकता है। उस समय इसे बनाने के लिए फलों, मेहंदी, मिट्टी और यहां तक कि कीड़ों जैसी नैचुरल चीज़ों का भी उपयोग कर लिया जाता था। मेसोपोटामिया की महिलाएं इस मामले में कुछ ज़्यादा आगे थीं।     लिपस्टिक आमतौर पर मोम, तेल, पिगमेंट और अन्य एडिटिव्स के मिश्रण को गर्म करके बनाई जाती है। मोम, कारनौबा मोम, अरंडी का तेल, और विभिन्न रंग एक साथ गर्म किए गए घटकों में से हैं और जमने के लिए सांचों में डाले जाते हैं।
  उत्तर प्रदेश के आगरा से एक विचित्र  घटना सामने आई है, यहां एक पति अपनी पत्नी के लिए 30 रुपये की लिपस्टिक खरीदने के कारण परेशानी में फंस गया और उसकी शादीशुदा जिंदगी में भुचाल आ गया। इतना ही नहीं, तलाक तक की नौबत आ गई। दरअसल पत्नी ने 30 रुपये की लिपस्टिक को इतना महंगा समझा कि वह रूठकर अपने मायके ही चली। उसने जोर देकर कहा कि उसके पति को केवल 10 रुपये या उससे कम कीमत की लिपस्टिक ही खरीदनी चाहिए। पत्नी को भी छोटी मोटी बातों पर बात का बतंगड़ नहीं बनना चाहिए। पति ऐसे भी एक बेवस ,लाचार प्राणी है।इसे पत्नी की रहमों करम की जरूरत है।चाहे कोई कितना भी बड़ा क्यों न हो या ओहदे पर क्यों न हो? सबकी दुर्गति थोड़ा बहुत एक ही है।

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