ईडी के भय से खूब चंदा वसूली मोदी सरकार!

      


 खाएंगे भी और खाने भी देंगें ! वसूली सरकार, मोदी सरकार !

 मोदी सरकार कैसे नंगा हो गई ?  इसके लिए इलेक्ट्रोल बॉन्ड की लिस्ट ही काफी है। इसमें बड़ी कंपनियां छोटे छोटे फेक कम्पनी बनाकर मोदी को करोड़ों रुपये चंदा दिया।वैसे कम्पनी मात्र एक कमरे में चलती है। क्या यह सम्भव है कि छोटी छोटी कम्पनियां करोड़ों रुपए चंदा दे ! असल बड़ी कंपनियां खुद के नाम आने के भय से फेक कम्पनियों का सहारा लिया। जरा एक नज़र डालें काले करतूतों पर -

1. कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी ने भाजपा को 52 करोड़ की डोनेशन दी, भाजपा ने मुहमांगे दामों पर वैक्सीन खरीदी और बदले में पूनावाला से सीधे कमीशन ले लिया और ये वो रकम है जो बुक्स में दर्ज है जो प्रूडेंट के रास्ते गयी है जो सीधे या कैश गयी होगी उसका हिसाब खुलना बाकी है।

2. रुइया बंधुओं पर ईडी कारवाई करती है बदले में एस्सार ग्रूप 50 करोड़ देता है।

3. आर्सेलर मित्तल के मालिक सरकार से निवेदन करते हैं कि एस्सार मामले में जो जांच चल रही है उसमें उन्हें छूट दी जाये बाद में मित्तल ग्रूप अलग-अलग तारीखों में 120 करोड़ चंदा देता है।

4. भारती एयरटेल पर 700 करोड़ के कस्टम ड्यूटी और टैक्स इवेशन का केस होता है, भारती एयरटेल 40 करोड़ चंदा देती है आज वो केस कहां है किसी को नहीं पता है।

5. जीएमआर पर ईडी रेड होती है थोड़ा चंदा देना पड़ता है थोड़ा कंपनी अदानी को बेचनी पड़ती है।

6. फ्यूचर गेमिंग पर ईडी की रेड होती है, कंपनी 100 करोड़ चंदा देती है।

7. आरपीएसजी ग्रूप पर ईडी की रेड होती है वो 45 करोड़ चंदा भी देते हैं और सोनिया राहुल के नेशनल हेराल्ड में सरकार के मनमुताबिक गवाही भी

8. मनी लांड्रिंग के मामले में डीएलएफ ग्रूप पर देश भर में छापे पडे़ और कंपनी ने 25 करोड़ चंदा दे दिया।

*सबसे ज्यादा इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाली 5 में से तीन कंपनियां कर रही थीं ईडी और इनकम टैक्स रेड का सामना*


नई दिल्ली। राजनीतिक दलों को 2019 से 2024 के बीच चुनावी चंदा देने वाली पांच में से तीन सबसे बड़ी कंपनियों ने उस समय चंदा दिया है जब वो ईडी और इनकम टैक्स की रेड का सामना कर रही थीं। इसमें लाटरी कंपनी फ्यूचर गेमिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर फर्म मेघा इंजीनियरिंग और माइनिंग फर्म वेदांता शामिल हैं।

इन सब में सबसे ज्यादा इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिये चंदा देने वाली कंपनी फ्यूचर गेमिंग एंड होटल्स प्राइवेट लिमिटेड है जिसके मालिक सैंटियागो मार्टिन हैं। लाटरी कंपनी ने कुल 1300 करोड़ रुपये चंदा दिए हैं।

यहां यह ध्यान देने वाली बात है कि ईडी ने 2019 की शुरुआत में फ्यूचर गेमिंग के खिलाफ मनी लॉन्डरिंग की जांच शुरू कर दी थी। उसी साल जुलाई में उसने कंपनी से जुड़े 250 करोड़ की संपत्ति को जब्त कर लिया था। 2 अप्रैल, 2022 को ईडी ने कंपनी की 409.92 करोड़ की संपत्ति को जब्त कर लिया था। इन संपत्तियों की जब्ती के 5 दिन बाद 7 अप्रैल को फ्यूचर गेमिंग ने 100 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे।

ईडी ने सैंटियागो मार्टिन और उसकी कंपनी फ्यूचर गेमिंग सोल्यूसन्स (पी) लिमिटेड मौजूदा दौर में फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज (पी) लिमिटेड और इसके पहले मार्टिन लाटरी एजेंसीज लिमिटेड के खिलाफ पीएमएलए के प्रावधानों के तहत सीबीआई द्वारा दायर की गयी एक चार्जशीट के आधार पर जांच शुरू किया। ईडी के मुताबिक मार्टिन और दूसरे लोग सिक्किम सरकार को धोखा देकर गलत तरीके से लाभ हासिल करने के लिए लाटरी रेगुलेशन एक्ट 1998 के प्रावधानों के उल्लंघन के जरिये एक आपराधिक षड्यंत्र में शामिल हुए।

22 जुलाई, 2019 को एक बयान में मार्टिन और उसके सहयोगी 01.04.2009 से 31.08.2010 के बीच टिकट के दामों में मनचाहा बढ़ोत्तरी कर तकरीबन 910.30 करोड़ रुपये बनाए। 2019-2024 के बीच कंपनी ने 21 अक्तूबर, 2002 को इलेक्टोरल बॉन्ड की पहली किश्त खरीदी।

राजनीतिक दलों को सबसे ज्यादा चंदा देने वालों की सूची में दूसरी कंपनी हैदराबाद स्थित मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एमईआईएल) है जिसने 2019 से 2024 के बीच 1000 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे। कृष्णा रेड्डी द्वारा संचालित मेघा इंजीनियरिंग ने तेलंगाना सरकार द्वारा चलाए गए कलेश्वरम डैम प्रोजेक्ट जैसे कई भीमकाय प्रोजेक्टों को पूरा करने का काम किया है। यही कंपनी जोजिला सुरंग और पोलावरम बांध भी बनाने का काम कर रही है।   

अक्तूबर, 2019 में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने कंपनी के दफ्तरों पर छापा मारा। उसके बाद ईडी द्वारा भी एक जांच शुरू कर दी गयी। संयोगवश उसी साल 12 अप्रैल को एमईआईएल ने 50 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे। पिछली साल सरकार ने चीनी इलेक्ट्रिक कार बनाने वाली बीवाईडी और उसके सहयोगी हैदराबाद स्थित पार्टनर एमईआईएल के एक इलेक्ट्रिक वेहिकल मैनुफैक्चरिंग प्लांट बनाने के लिए 1 बिलियन डॉलर के निवेश के प्रस्ताव को ठुकरा दिया।

अनिल अग्रवाल का वेदांता ग्रुप पांचवां सबसे बड़ा दानदाता है। जिसने 376 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे हैं। और उसने बॉन्ड की पहली किश्त अप्रैल 2019 में खरीदी। ध्यान देने वाली बात यह है कि ईडी ने वीजा के बदले घूस के मामले में वेदांता समूह के शामिल होने के प्रमाण होने का दावा किया जिसमें चीनी नागरिकों को नियमों को तोड़ कर वीजा देने का आरोप लगा था। 

ईडी ने सीबीआई को एक रेफरेंस भेजा था जिसे उसने 2022 में भ्रष्टाचार के एक केस के तौर पर दर्ज किया था। उसके बाद ईडी ने उसे मनी लांडरिंग की जांच के तौर पर आगे बढ़ाया। 16 अप्रैल, 2019 को वेदांता लिमिटेड ने 39 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे। 2020 के महामारी के साल को छोड़कर नवंबर, 2023 तक यानि अगले चार साल तक इसने 337 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे। इस तरह से वेदांता द्वारा खरीदे गए बॉन्ड का कुल मूल्य 376 करोड़ रुपये था।

जिंदल स्टील कंपनी भी सबसे ज्यादा दान देने वाली 15 कंपनियों में शामिल है। इसने इस बीच बॉन्ड के जरिये 123 करोड़ रुपये दिए हैं। हालांकि कंपनी कोल ब्लाक आवंटन मामले में  केंद्रीय एजेंसियों की जांच का सामना कर रही है। ईडी ने ताजे फोरेक्स उल्लंघन के मामले में अप्रैल, 2022 में कंपनी और उसके मालिक नवीन जिंदल के यहां छापे डाले थे।

इसके अलावा रित्विक प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड ने इसी दौर में 45 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे। रित्विक कंपनी के मालिक राजनेता सीएम रमेश हैं। अक्तूबर, 2018 में रमेश और उनकी कंपनी के ठिकानों पर इनकम टैक्स विभाग ने छापे मारे थे। आपको बता दें कि रमेश उस समय टीडीपी के सांसद थे। इनकम टैक्स विभाग ने आरोप लगाया था कि कंपनी ने 100 करोड़ रुपये विदेश भेजे थे। कुछ महीने बाद रमेश बीजेपी में शामिल हो गए।

दिल्ली शराब घोटाले में शामिल अरबिंदो फार्मा ने भी इसी दौर में 49 करोड़ रुपये का दान दिया है। इस केस में ईडी ने कंपनी के निदेशक पी साराह रेड्डी को नवंबर, 2022 में गिरफ्तार किया था। जबकि कंपनी ने 2021 में 2.5 करोड़ रुपये का दान दिया था। उसके द्वारा ज्यादातर इलेक्टोरल बॉन्ड 2022 और 2023 के बीच खरीदे गए।

रश्मि सीमेंट जिसने 64 करोड़ रुपये राजनीतिक दलों को चंदा दिए हैं वह 2022 से ही ईडी की जांच के घेरे में है। 13 जुलाई 2022 को ही ईडी ने पश्चिम बंगाल स्थित उसके तीन ठिकानों पर छापे मारे थे। जिसमें उस पर 73.40 करोड़ रुपये का सरकारी नुकसान करने का आरोप लगा था। और यह मामला रेलवे से संबंधित था।

इसी तरह से शिरडी साई इलेक्ट्रिकल्स ने इसी साल के जनवरी में 40 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे थे। पिछले साल ही उसके खिलाफ आईटी की रेड पड़ी थी।


ये पूरी तरह से लीगल घूसखोरी है विपक्ष को इस मामले को जनता के बीच ले जाना चाहिए कि कैसे एक तडीपार सरकार चला रहा है। सरकार वसूली भाई के रोल में आ चुकी है पहले रेड मारेगी फिर पैसे लेकर मामला दबा देगी।

यही कारण है कि एसबीआई लिस्ट देने में 6 माह की मोहलत मांगी थी, बल्कि इसके आर में मोदी सरकार मोहलत मांगी थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट इसके मंसूबों पर पानी फेर दिया।अब देश की जनता न खाएंगे ,न खाने देंगे के नारा लगाने वाले ढोंगियों से जरूर हिसाब मांगेगी।                              


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