अंधभक्ति में बर्बाद गुलिस्तां हो गया! साथ मिला खटाखट का !

  


बड़े ही निराश,चिंतित मन से बैठे मेरे मित्र छात्रों की कमी से मातम मना रहे थे। अच्छे टीचर हैं और  प्रतियोगी छात्रों को अच्छी तरह से तैयारी भी करवाते हैं।मेरे मित्र होने के नाते मैं अनेक छात्रों को वहाँ पढ़ने के लिए रिकमेंड किया। कोचिंग सेंटर खूब चलती थी लेकिन हमसे उनसे एक ही बात पर मतभेद हमेशा बनी रहती है।वे मोदियाबिंद के शिकार थे।  इस बीमारी का दुष्प्रभाव पूरे देश पर पड़ा तो ये कैसे बचते। वैकेंसी निकलना कम हो गया तो इनके यहां छात्रों की उपस्थिति कम हो गई।नतीजा, बुरे हाल में रहने लगे।एक दिन आकर बेचारे अपनी दुखड़ा सुनाने लगा।मैं इनकी दशा और अंधभक्ति पर तरस खाने लगे।मैं बोला तेजस्वी की सरकार नीतीश के साथ बन गई है।आपके दिन सुधरेंगे। मित्र बोले - वो कैसे? अब वैकेंसी निकलेगी ,तेरी पत्नी बीएड की है, वो टीचर बन जाएगी। हुआ भी यही।मैं मिलने गया कि शायद मोदियाबिंद ठीक हो गया होगा,लेकिन बीमारी और बढ़ी हुई थी। मुझे निराशा हाथ लगी,लेकिन जाते - जाते कह दिया कि अगर गलती से 2024 में तेरी अंधभक्ति कायम रही तो ये तेरे कोचिंग सेंटर के कुर्सी बेंच नीलम हो जाएगा और तू ठेला चलाते नज़र आएगा।जब वैकेंसी ही खत्म तो तेरा कोचिंग भी खत्म। बेचारा सहमा हुआ है लेकिन यह बीमारी शायद उसके जीवन भर रहे ।ऐसा मुझे लगता है। मैं इस बीमारी को और रिसर्च किया तो नये नए लोग मिले।एक ईंट भट्ठा चलाने वाले मिले।उनसे उनके व्यापार के बारे में पूछा तो बोले-मार्केट में पैसा है ही नहीं।लोग महंगाई में खाना खाये कि मकान बनाये।ऐसी ही प्रतिक्रिया किराना दुकानदार, कपड़ा दुकानदार, फेरीवाले से मिला।कुछ की बीमारी ठीक हुई है लेकिन अभी अधिसंख्यक इस बीमारी से जूझ रहे हैं।

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