मतदान में फुर्ती रखें और चुनाव चिन्ह कॉन्फॉर्म रखें।

  


औसतन एक लाख से ऊपर वोट किसी भी दल के समर्थक रहते हुए नुकसान हो जाता है और देश में 90 फीसदी चुनाव परिणाम इतने ही अंतर से हार जीत होते हैं।  एक लोकसभा में औसतन 2100-2200 मतदान केंद्र होते हैं ।अगर हर मतदान केंद्रों पर 25 वोटर्स सुस्ती या रहते हुए वोट नहीं डालते हैं तथा इतना ही वोट सही जानकारी नहीं होने के कारण गलत वोट पर जाते हैं तो एक बूथ पर 50 वोट का नुकसान होता है और 2100× 50= 105000। करीब 1लाख से ऊपर वोट्स की बर्बादी।  इस काम को करने के लिए कोई शीर्ष नेता नहीं आएंगे, बल्कि बूथ के राजनीतिक कार्यकर्ता ही कर सकते हैं। किसी भी सीट को जीतने में कार्यकर्ताओं की महती भूमिका होती है। कार्यकर्ता या तो अनभिज्ञता में ,निराशा में या ओभर कांफिडेंस में होता है। जिस नेता के लिए जनता , कार्यकर्ता चुनाव लड़ने  लगे उस नेता की जीत में कोई संशय नहीं होता है। इसके उलट कोई नेता बाहुबल, पैसा या शीर्ष नेतृत्व के नाम पर चुनाव लड़ते हैं, उसकी लुटिया डूबना तय है।  नेता  जीत के दावे बड़े बड़े करते हैं ,लेकिन अंतिम समय आते आते चेहरे की सिहकन बता देता है कि उनकी हार सुनिश्चित हो गई है।इस बार कई बड़े बड़े चेहरे को देखा है और कहीं न कहीं उनके चेहरे पर पराजय की लकीरें दिख रही है। राजनीति है ,अंतिम समय तक जोर आजमाइश चलती है और बाजी पलटती है।

Comments

Popular posts from this blog

चुनाव आयोग विलम्ब से वोटिंग प्रतिशत बताया! वोटरों की संख्या क्यों नहीं बताते?

शिवहर में आनंद मोहन भाजपा विधायक जायसवाल को तू कहने पर जायसवाल भड़के !

पूर्व मुखिया उदय शंकर यादव पंचतत्व में हुए विलीन !